सौन्दर्य बोध की दृष्टि से शिवानी एवं उषा प्रियंवदा के कथा साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन | Saundarya Bodh Ki Drishti Se Shivani Evm Usha Priyanvada Ke Sahitya Ka Tulanatmak Adhyayan

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Saundarya Bodh Ki Drishti Se Shivani Evm Usha Priyanvada Ke Sahitya Ka Tulanatmak Adhyayan by सुमित्रा देवी - Sumitra Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम सोपान में जिन कथाकारों के नाम उल्लेखनीय है। उनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं - ई किशोरीलाल गोस्वामी कृत इन्दुमती [1900 | # माधव प्रसाद मिश्र कृत “मन की चंचलता [1901 | 5, किशोरी लाल गोस्वामी कृत “गुलबदन” 19021 4. भगवानदास कृत प्लेग की चुडैल' [1902 5. गोपालराम गह मरी कृत “माल गोदाम की चोटी [1903 6. गिरजादत्त बाजपेयी कुत पंडित ओर पंडितानी 1903] 7. रामचन्द्र शुक्ल कृत “ग्यारह वर्ष का समय [ 1903| 8. वंग महिला दुलार्वाली [1907 9. वृन्दावन लाल वर्मा कृत “राखी वंधमाई” [1909] सन्‌ 1900 से 1910 तक हिन्दी कहानी अपने आरम्भिक रूप में विद्यमान रही।. इन कहानियों का स्वर प्रेम एवं लोकरंजन रहा। इस काल में पौराणिक एवं एतिहासिक कहानियों की भी रचना हुई, जासूसी एवं वीरतामूलक कहानियाँ भी लिखी गई। द्वितीय सोपान हिन्दी कथा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सोपान सिद्ध हुआ। जयशंकर प्रसाद को इन्द मासिक में प्रकाशित 19 11 ई0 की ग्राम कहानी। च्च 1911 20 में ही जे0पी0 श्रीवास्तव की पिकनिक और चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की सुखमय जीवन” कहानों प्रकाशित हुयी | कहानी के द्वितीय सोपान के यही प्रमुख कथाकार थे! कहानी विकासयात्रा के द्वितीय सोपान के अन्तिम चरण में हिन्दी कथा क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद का पदापण हुआ। उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण के कारण कथा क्षेत्र में एक अपूर्वं परिवर्तन आया डॉ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी के




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