आत्मचरित -चम्पू | Atmacharit - Champu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यंहाँ राज्य का एक अस्पताल है जिसमें दो अतिस्टेंद “सर्जन; एक ` यूरोपियन लेडी-डाक्टर तथा अनेक कम्पाउंडर आदि कमचारीर्दै। शी @ ययँ गरीव रोगियों को दवा, भोजन, ओर रहने के स्थान दिये जाते द| ४ { 1 आजकल नवीन महाराज की ओर से जनाना-अस्यताल बड़े खच॑के ` . साथ वन रद्य है । यहाँ एक बड़ा पोस्टआाफिस, स्युनिसिपैलिटी-आफिस = = ` ओर रेलवे-स्टेशन { इमरार्वे ) तथा पुलिख-स्टेशन ( थाना ) है । यह एक छोटा-सा. सुन्दर नगर है. जिसके चारों ओर सुहावने बन, पुष्पोद्याव, बगीचे श्र दर्शनीय बड़े-बड़े मैदान हैं । बगीचों में. बड़ा बाग, राजेश्वरजी का बाग, काकीजी का बाग और बावन-बिगंदा ्रशंखाके योग्य हैं। महाराज के किले से गोलावाजार होती हुईं स्टेशन तक एक सड़क गईं है जो यहाँ का प्रधान राजमार्ग है । चौकं पर तथा गोले में अनेक दूकानें हैं जिनमें वख्र, भुषण, अन्न, सब्जी, मलदां श्ादि सभी आवश्यक पदाथ मिलते हैं । .... यहाँ चार अंग्रेजी दवाखाने हैं। आयुर्वेद-पंचानन पैं० भीमसेने ` ॐ | . मिश्र राजवेद्य तथा पं० शिवप्रसादजी के आयुर्वेदीय औषधालय भी है। नर | . यक्ष सोमवार तथा इस्पतिवार को खास तौर से बाजार लगता... | है जिसमें दिद्ातों के लोग अझपनी-झपनी अनेक प्रकार की वस्तुएं बेचने. ` 0 | ........ श्र खरीदने के लिये आते हैं। पा यहाँ के राजा लोग “परमार” चत्रिय हैं । बहुत दिनों तक उनके. 4 4 किया; इषलिये ये लोग “उज्जैन” कहलाते हैं । पर स्मरण रदे कि उज्जैन द न




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