अरुणाचल का खामति समाज साहित्य | Arunanchal Ka Khamati Samaj Sahitya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Arunanchal Ka Khamati Samaj  Sahitya by भिक्षु कौण्डिन्य - Bhikshu Kaundinya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भिक्षु कौण्डिन्य - Bhikshu Kaundinya

Add Infomation AboutBhikshu Kaundinya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हा न... ऑधिनिय ~ ¢ ५ र = विषय-प्रवेश 19 खो बैठे । चाउ ताड गोहांई सदिया-खोवा गोहांई का चचेरा भाई था। दूसरी शाखा का नेतुत्व सदिया-खोवा गोहांई का पुत्र चाउ ला गोहांई ( भदिया गोहांई) करता था । अन्य पांच सौ अनुयायियों सहित सदिया से नाव में लाकर डिक्रंग नदी तट पर नारायणपुर के कलाबारी नामक स्थान में छोड़ दिया । कला- बारी में महामारी फैलने से कुछ खामति मारे गये। (सोरी डिक्रंग) तट पर रहने पर इनकी संख्या बढ़ने लगी, तो ब्रिटिश सरकार को भय हुआ, इसलिए खामतियों ने अफीम जैसी मादक द्रव्य खिलाकर, हाथी पकड़ने के व्यापार में फंसा दिया ग्रेओ नामक अंग्रेज की देख-रेख में ये लोग हाथी पकड़ते थे । वर्तमान में यह खाम- तियों का प्रमुखतम दूसरा स्थान है, इस अंचल में सात खामति गांव हैं । बहुत से गांव यहीं से जाकर अरुणाचल के लोहित अंचल में रहने लगे हैं । डिक्रंग के प्रमुख . खामति गोहांई ने शिवसागर में अंग्रेजी स्कूल में शिक्षा पायी और वहीं से उसने आहोम कुंवर परिवार की लड़की लुथुरी आइदेउ से शादी की । बाद में ब्रिटिश सरकार ने खामति गोहांई को तहसीलदार (मोजादार ) के पद पर नियुक्त किया। वह परम्परा आज भी अक्षुण्ण है। नारायणपुर, खेराज-खाट का तहसीलदार खामति राज-परिवार का है। चाउ ए गोहांई एवं कप्तान गोहांई दोनों ब्रिटिश सेना के अनुसरण में आये । अन्त में कप्तान गोहोंई आत्मसमपंण के लिए विवद्ञ हुआ । कप्तान गोहांई सदिया- खोवा गोहांई का चचेरा भाई था । इसके नायकत्व में सदिया, सुनपुरा में खामति गांव बसाया । अब यहां केवल स्येंगसाप्‌ एवं सुनपुरा में कुछ ही घर खामति रह गये । बाकी लोहित (अरुणाचल) में गांव बसाकर रहने लगे हैं । रनुवा गोहांई एवं चाउ ए गोहांई के पुत्रों ने सन्‌ 1843 में ब्रिटिदा सरकार गे प्राथैना सन्धि-पत्र भेजा कि उन्हें पुन: मूल स्थान में निवास करने दिया जाए ।” सरकार ने खामतियों को सपरिवार टेंगापानी, कामलांग और दिराक नदी तटीय उपत्यका में निवास करने की अनुमति प्रदान की । सन्धि अनुसार _ ब्रिटिश सरकार ने खामतियों के समसामयिक खामति नेता चाउ साम लुङ्‌ किङ्‌ खाम भौर चाउन्वय लुङ्‌ किड्‌ खाम को अपने क्षेत्र में अनुशासन करने की भी अनुमति दी । यहीं इन लोगों ने एक भिक्षुके वचन-बद्ध होने से चच्वद्‌खाम्‌ (च्वड--विह्वार, खामू--स्वर्णे ) का निर्माण किया । वही आज 'चौखाम' नाम से. .. जाना जाता हैं । च्वङ्खाम्‌ (चौखाम) का शासनभार चाउ माइथि को सौंपा गया था, किन्तु कछगृह्‌ दन्दके कारण चाड माङ्‌यि “मिङ्माउ' (बर्मा) चला गया । वहीं इसकी मृत्यु हुर्ई। तव चाउ साम्‌ लुद्‌किड्‌ खाम्‌ खामति क्षेत्र का प्रमुख नियुक्तहुभा, इसे ` ........ लोग चाउ सा राजा नाम से जानते हैं। ब्रिटिश शासकों ने खामति राजा को पूर्ण... ..... अधिकार का दर्जा दिया । सन्‌ 1875 में ब्रिटिश अधिकारी जे० एफ० नीघाम को




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now