शिक्षामणि | Shikshamani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
410
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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वायस पालिय श्रति श्रलुरागा ! ोडिनिरामिपकबु किकार्गो है
न्दौ सन्त श्रमन्नन चरणा । दुखप्रद उभयवीच कछुवरणा ॥
विछुरत एक प्राण रि लें! मिलत एक दारुण दुखटेरीं ॥
उपजद्धि एकसद़् जलमारीं । जलजो कलिभिगुणविलगारीं ॥
सुधा सुरा मम साधु च्रसाधु। जनकं एकं जगजलधि श्रगाघु ॥
भलय्रनभल निजनिज करतृती । - लहतदय श्रपकक विभूती ॥
सुधा सुधाकर सुररुरिसाधू । गरलश्रनलकलिसल सरिव्याधू ॥
युख च्रवगुण जानत सवक्राई। जेगजेहि भाव नीक तेदिसोई ॥
टो भक्ते भलारपै लद्धं लटि निचादई नीच ।
सुधा सराददिट अमरता गस्लसराटिय सीच ॥
खलअघ अगुणसाधु गुणगाद्ा । उभय श्रपार उदधि अवगाहा ॥
तेदिते कदु गुण दोप वसवान । सम्रद्त्याग न विनुपद्िचाने॥
भरे पोच स॒वविधि उपाये ! गनि गुरुटोष वेद विलगाये ॥
काहि वेद इतिहास पुराना । विधिप्रपक्लगुण घवगुणसाना ॥
दुख सुख पापपुख दिन राती। साघु प्रसाधु सुजाति ऊुजाती ।
दानव देव जांच अश नोचू । ग्रननियसजोवनि माहुरमोचू ॥
माया ब्रह्य जीव जगदोगा। लच श्रतक्त रंक श्रवनीशा ॥
काशि मगन्न सुरसरि कमनासा ) सस् मालव मद्िदेव गवाशा ॥
खर्म नस्क श्रनुराय विराम लिमसागम गुणदोष विभागा ॥
दो जड़ चेंतन गुण्दोपसय विष्ठ कीन्ह करतार ॥
। सन्त सगुण गद्द्धिंपय परिंदरि वारिविकार ॥
्रमविवेक जव देद्धि विधाता। तव तजि दटोषगुणददिं मनराता॥
काल खभाव कर्मं वरिश्रादई। भलेड प्रकतिवश् चुकभलाई ॥
सो सुधारि इरिजन जिमिलेदीं । दलिट्खटोष विमल यशदेद्ीं ॥
खलडहु करक्ति भलपाइ सुसगू। मसिंटक्चि न मलिन सुभाव अभयू ॥
लखि सुवेघ जग वच्चवा जेज । वेष प्रताप पूजियत सैऊ ॥
उघरद्धि प्रनत न होर निवाद्ध। कालनेमि जिसि रावण राह ॥
किये कुबेष माधु सनसनू।1 जिमिजग जामवन्त नुमान् ॥
खानि कुसद्न सुसङ्गति लाद । लाकष्ु वेद विदित खव काद ॥
बुध ऊनजनररूरसननसननसनरननसरनररररखसनरसररूसरनरनरूरूरूख
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