ज्ञान कथाकुज्जल | Gyan Kathakujjal

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Gyan Kathakujjal by कस्तूरचन्द्र जैन 'सुमन ' -Kasturchand Jain 'Suman'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ससार से भय उत्पन्न करनेवाली सवेजिनी कथाओ मे निम्न कथाएँ कही जा सकती है- वाणी संयम लाभप्रद मदनसुन्दरी की पति-सेवा रानी का अविवेक देह सौन्दर्य परीक्षा कौटुम्बिक जीवन की झाकी समी बहिन भी स्वार्थमय जैसी करनी वैसी भरनी ८ जीवन क्षणमगुर है भाई ६ परिवार-परीक्षा १० बुद्धिमान राजा बुद्धिमान चोर ११. गुण अवगुण सगति फले १२ दयावान युवराज्ञी १३ खाओ सब मिल बाटकर भोगो से वैराग्य उत्पन्न करने वाली कथाओ का भी ज्ञानसागर-वाडमय मे प्रयोग हुआ है। ऐसी कथाएँ पॉच है- १ वैरागी का व्याह २... भाई-भाई का बैर-स्नेह ३... कुलटा-नेहीं यशोधर ४ राज्यभोग की लालसा ५ भोगो की कुटिला उक्त कथा-भेदो के अतिरिक्त सामान्य नैतिक विषयो से सम्बन्धित कथाएँ भी व्यवहृत हुई है । वे है- १ मतिवर ग्वाला २ भावों का है खेल जगत मे ३... साधु दृष्टि = ~ + ० 4 ~ =




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