भारत वर्तमान और भावी | Bharat Vartman Aur Bhavi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bharat Vartman Aur Bhavi by रजनी पाम दत्त - Rajani Pamdatt

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रजनी पाम दत्त - Rajani Pamdatt

Add Infomation AboutRajani Pamdatt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भारत भरर भ्राुनिक संसार ३ है। उसकी गरीबी उस स्तर पर पहुंच गयी है जिससे नोचा स्तर दुनिया में कोई नहीं दैः श्रौर तथ्य तथा झांकड़े बताते हैं कि पिछले दिनों में हालत श्रौर खराब हो गयी है। खेती का संकट बराबर गहरा होता जा रहा है श्रौर भूमि-सुधार के जो बहुत ही सीमित क़दम अभी तक उठाये गये हैं, उनसे खेती के संकट में कमी नहीं श्रायी है । इस प्रकार, भारत की समीं परिस्थितियां बहुत बुनियादी परिवर्तनों के लिए परिपक्वे हो रहौ ह । ये परिवतंन उस अस्थायी समकौते से बहुत भागे जायेंगे जो भंप्रे ही साभ्राज्यवाद श्रौर भारत के उपरी तर्बकरो के वीच १६४७ में हुमा था। भारत में इस बात के लिए परिस्थितिया परिपक्व हो रही हैं कि जनवादी साभ्राज्य-विरोषी क्रान्ति को पूरा कर दिया जाय, जमीदासी प्रथा तथा सामन्ती श्रव्ेषों को मिटा दिया जाय, साघ्राज्यवाद के सहायक एकाधिकारी पूंजीपतिर्यो का शापन समासत कर द्विया जाय ्रौर भारत कै भ्राधिक साधनों की सान्नाज्य- वादियों कैः पंजे से द्रुहा लिया जाय । जनता के जनवादी श्रन्दोलने कौ विजय के फलस्वरूप जब भारत इस प्रकार सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त कर लेगा, तब श्राथिक पुननिर्माण के विद्याल कार्य के लिए द्वार खुल जायेंगे; तव उद्योग-घंघों का विकास करने, सेतौ में रूपान्तर करने, जनवाद का विस्तार करने, पुरानी प्रति- क्रियावादी व्यवस्थारी विरासतको दूरकरनेभौर देदाका सामाजिक तथा सांस्कृतिक पुनश्त्थान करने के काम मारतीय जनता के सामने भायेगे । विश्व इतिहास के जिस युग में भारतीय जनता को थे काम करने पढ़ेंगे, वहं एक एसा युग है जिसमें संसार के प्रत्येक महाद्वीप में, झौर विशेषकर एशिया में बड़े गम्भीर परिवतन हो रहे हैं। यह साम्राज्यवाद के कमज़ोर होने का और निकट सविष्य में साप्नाज्यवाद के पतन का युग है, दुनिया भर में जनता की भाज़ादी की ताकतों के झागे बढ़ने का युग है । मानव जाति के एक-तिह्ाई भाग ने सामन्नाज्यवाद की जंजीरों से भ्रपने को पूर्णतया मुक्त कर सिया है । सोवियत संघ में संसार का पहला पूर्ण समाजवादी समाज कायम हुआ है । करीवे चासीस साल हुए जब सोवियत संघ में उारदाही साम्राज्ययाद कार तस्ता उलटा गया था । तब से भर तक वहां राष्ट्रीय तया सामाजिक मुक्ति का कार्य पूरा हो छुका है भौर जनता को हद दर्ज की ग़रीबी भौर पतन की हालत से निकासकर भाधिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक प्रगति के सनम स्तर पर पहुंचा दिया है। भौर भव सोवियत संघ कम्युनिस्म को भोर दढ़ रहा हैं। पूर्वों योरप में, जनता के सच्चे जनवादी राज्यों में समाजवाद की नीय डाली जा रही है । एरिया मे चीनी क्रान्ति को विजय भौर चोनी जनता के लोकतंत्र की स्थापना के फलस्वरूप एक नये युग का श्रीगणेश हो गया है । रूस में समाजवादी ध




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now