दूसरी दुनिया का मुसाफिर | Dusari Duniya Ka Musafir
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ उस व्यक्तिगत अपभान को सहा नहीं भा सकता था
सकस की रग-सूमि तमाशबीना से जब खाली हो गयी नीर ऊषर
षी एक कां छोडकर होप सब रोशनियाँ बुया दी गयी तब ह्वाइटी
टदवाइटी को फिर वहीँ ले लाया मया 1 शिमिट ने ट्रैनर से दष्टवास्त की
फि जब ये ह्लाइटी-टवाइटी के साथ प्रयोग करें तब बह वहाँ से चला
जाय । उस छोटे से आदमी ने अपना सकस वाला कोट अब उतार दिया
था और केवल एक स्वेटर पहने हुए था । दिमट की वात सुनवर उसने
किचित अपने व थे उघकाए, पर बोला कुछ नहीं ।
“मेरी बात का बुरा ने सानिएगा मुझे माफ कीजिए, मे आपका
नाम नहीं जानता,” रिमट ने शुर किया)
“जुड्ठ, फ्रेडरिक जुद्ध । आपकी लिंदमत में हाशिर हैं ।”
“अच्छा, सुनिये । बुरा न मानिएया मिस्टर जुड़ । हम प्रयोग
इसलिए करना चाहने है जिससे कि कही भी कोई शक वी गुन्जाइय
न रह जाय +”
ग्जरूर कीजिए,” टूंनर ने जवाब दिया । “जब हाथी का काम
सत्म हो जाय तो सुये बुला लीौजिएगा 1 -कहूगर बट दरवाये की तरफ
चला गया ।
वैचानिको ने अपने प्रयोग शुरू कर दिये । हाथी उनकी वात ध्यान
सं सुनता आता मानता, उनके सवाला के जवाब देता । एव भी गलती
किय बिना तरह-तरह की समस्याओं वे समाधान उसन प्रस्तुत
कर दिये। उसने जो क्या उससे सेब आश्चय म षड गये ।
अविलम्ब दिय जाने वाले उसके जवाब को बेवल ट्रेनिंग या चालवाजी
की वात वह कर नहीं सरत्म क्या जा सकता था । हाथी कै असा
धारण बुद्धि थी, एव तरह से बिलकुल मानदी बुद्धि थी, इसस विंसी
तरह इनकार नहीं किया जा सकता था 1 दिमट भी अब आधा
हा गया था परन्तु केवल हव्वश वह वट करता रहा।
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