आठवें दशक के लोग | Aathaven Dashak Ke Log
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मनीषराय - Manish Ray
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोटा टेलोफोन बडा टेलीफोन / १७
“इनका स्कूटर चारी हुआ या सर ।” थानदार ने मरी आर सकते
किया । अधेड व्यक्ति न चोट याये नाग की तरह फन उठाकर थानंदार को
देवा । थानेदार सिकुड गया ।
कोई गलती हुई सर !” थानेदार विछ गया ।
“में लडवे को ले जा रहा हू । अपनी जेव से एक कागज निकालकर
मेज पर फेंक दिया। नौजवान वे होठा पर वाटो फी तरह मुम्कान उम
मायौ । उसने चारी-वारी स मुसे और थानदार वो देखा । और फश पर
रुझू ठक् जूते बजाता धान से बाहर हो गया ।
इस सार के सार नाटक के तजी सं बदलते दुश्या न मु सन्नाहीन-सा
चर दिया था । अधेट व्यक्ति ने मुझे साथ आने का इशारा किया | मैं
ममकीलित-सा उसके पीछे हो लिया । थानदार भी मुस्तद था । दा छलागा
मेहो महक पर पहुंच गया और बार वा दरवाजा योनगर खड़ा हो गया,
गुलाम की सुद्रा म, “ठोक है। ठीव है। यु कत गो साठ 1” अधेड व्यक्ति
सुचवाया । थानेदार अडा रहा ।
“भाई से, यू बन यो नाक इस दुखी ने थानेदार का वित कर
दिया 1 सैल्यूट झाड़न की बनवती इच्छा उसने अदर कटदार गोले की
तरह धूमती रह् गयी । यह चना गया ।
“जाई थिक यू शुद्ध वियड़ा दिस केस मघेड व्यक्ति ने सिगार को दाता
सले कुचलकर मामसान की ओर उछाल दिया । तभी कार की पिछली सीट
से नीजवान का सिर {बाह्रं निका, (लीव इट ठैड 1” भे व्यमि न
चार का दरवाजा पोला । एक पाव कार के अदर रखा + फिर अचानक
पलटवर कहा, “बाई द वे कितना मुक्सान हुआ है तुम्टारा।' नीर उता
शुक हाथ जेब में लटक गया 1
मेरे दिमाग में एक विस्फोट हुआ। और इसके साथ ही सारा तिलिस्म
टुकडे-ट्कडे हो गया । मुझे लगा, यह हाथ जेब में नहीं गया है, बल्वि इसवी
उगनिया छोटे-ठोट सापा की तरह मर चेतना बिलो में उतर रही हैं।
उततरती जा रही हैं ।
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