तात्कालिक चिकित्सा | Tatkalik Chikitsa
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.63 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वब्याधियों तथा उनसे चचने के उपाय धर पेजन भी यदि उखित रूप से न खाया जाय तो उसका घिक भाग पेट में केवल भार होने के सिदा और कुछ पाभ नहीं पहु चा सकता उलटे हानि ही करेगा । भोजन करने के लाभकारी नियम १ भोजन घीरे-घीरे शांत-चित्त से खूब चवा-चवाकर करना चाहिए । ९ भोजन उतना हो करना चाहिए जो उपयुक्त समय में पच सके । ३ पक दी प्रकार करा भोजन एक चार या सदा न करना चाहिप 1 ४३ नित्य ठोक श्र उचित समय पर ही भोजन करना चाहिए । घार-वार मुह ॒ज्ुठारते रहना हानिकारक है । इससे मंदाग्वि-राग की उत्पत्ति होती हैं। दा वार नियमित भोजन के चीच में कुछ न खाना. चाहिए शरीर दिन का भोजन झधिक तथा शाम का झटप पवं हलका होना चाहिए | ४ भोजन करने के उपरांत लगसग पक धंटे तक कोई शारोरिक या सानसिक परिश्रम न करना चाहिए । शाम को सोने के समय कुरोब पक घटा-पूवं भोजन कर लेना चाहिए । ६ भोजन के साथ-साथ तथा भोजन के अंत में जल
User Reviews
No Reviews | Add Yours...