तात्कालिक चिकित्सा | Tatkalik Chikitsa

Tatkalik Chikitsa by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वब्याधियों तथा उनसे चचने के उपाय धर पेजन भी यदि उखित रूप से न खाया जाय तो उसका घिक भाग पेट में केवल भार होने के सिदा और कुछ पाभ नहीं पहु चा सकता उलटे हानि ही करेगा । भोजन करने के लाभकारी नियम १ भोजन घीरे-घीरे शांत-चित्त से खूब चवा-चवाकर करना चाहिए । ९ भोजन उतना हो करना चाहिए जो उपयुक्त समय में पच सके । ३ पक दी प्रकार करा भोजन एक चार या सदा न करना चाहिप 1 ४३ नित्य ठोक श्र उचित समय पर ही भोजन करना चाहिए । घार-वार मुह ॒ज्ुठारते रहना हानिकारक है । इससे मंदाग्वि-राग की उत्पत्ति होती हैं। दा वार नियमित भोजन के चीच में कुछ न खाना. चाहिए शरीर दिन का भोजन झधिक तथा शाम का झटप पवं हलका होना चाहिए | ४ भोजन करने के उपरांत लगसग पक धंटे तक कोई शारोरिक या सानसिक परिश्रम न करना चाहिए । शाम को सोने के समय कुरोब पक घटा-पूवं भोजन कर लेना चाहिए । ६ भोजन के साथ-साथ तथा भोजन के अंत में जल




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