महात्मा गांधी 100 वर्ष | Mahatma Gandhi 100 Varsh
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एस्< राधाकृष्णन्
आसुख
गाधीजीकी जन्मगती ३० जनवरी, १९४८ को उनकी जहादतक्े वीस वरं
वाद २ अक्तूबर, १९६९ को पड रही है । यही वह अवसर हैं जव भारत और
विश्वपर पडनेवाले उनके जीवन और चिन्तनके प्रभावका आकलन होगा ! इस
भरन्थमे इस विपयपर उनके कुछ चनिष्ठ सहरकमियो एवं हमारे युगके कतिपय प्रमुख
विन्तकोके विचार प्रस्तुत किये गये है । हम उन सबके प्रति विशेष रूपमे
याभारी है ।
गाधोजी क्रान्तिकारी चिन्तक थे । उन्होने मानवीय स्वभावमे एक महान्
परिवतत लानेका कार्य किया । उनकी आवाज आनेवाले युगकी भावाज है । वह
आवाज उस युगकी आवाज नही है जो 'हलासोन्मुख है या जिसका हास अवश्य-
म्भावी ह । हमे भविप्यको एक नया उद्देश्य और दिना देनी है, न कि यथास्थितिके
साथ समझौता करना हूँ । क्रान्तियाँ महान् उदेव्यकी तीव्र प्रेरणापरं प्रततित होती
ट, किसी प्रकारकी जडता या उदासीनता उनका आचार नही वन सकती ।
( रम आन इतिहासके नौरादेपर सड है । आज मनुप्यका सवसे वडा जनु
ग, दुभिक्ष या जनसख्याका विस्फोट नही है, अपितु वे पारमाणविक शास्त्रास्त्र है,
शुकी स्वितिमे समूची सम्यताका पूर्ण निनाग यर नान्तिके समय मानव-
शर दिए स्थायी संकट पैदा कर सकते है 1
प ध्य निणस्य ससारमे जीवन-यापनके लिए तैयार करनेका
भर सहार क ह्म भी सघर्पं ौर्'धृणाके ससारसे बाहर निकालना है
हैं । गाधोजोने ही आधारपर कार्य कनेक लिए तयार हो जाना
न्थितियोमे सा विकर्ष प रूपम मस्तु किया हैँ । सघर्पकी
को पूर्णत, सत्यनि्ठा, व्यक्तितति यह माँग करता है कि वह अपने प्रतिरोध-
रॉ ' मेमव्यवहार और कष्ट-सहिष्णुतापर प्रतिष्टित करे ।
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