रसकपूर | Rasakpur
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द ब्रय सामतगण मुमसे प्रप्रसम ये) रानिया पडदायतें, पासवान तो मेरे विरूद्ध
थी ही क्यांकि मैं उनवी सीत थी । सौतिया डाह वया नहीं र सक्ती ? इष तरह
एक बहुत बड़ा वग मेरा दुश्मन वन गा या मेरे पक्ष म इने गिने भादमी थे जि हू
मैं नेक श्रादमी कह सदती थी किस्तु वे सभी रियासत की नजर म द्रो्टी थे । मेरे
साथ ही उन सभी को प्रोह स उतार त्या गया, घर व धन कुक वर लिये गये,
सरे धाम उनकी नगी पीठ पर कोई यरसाये गये । उनवी स्त्रियों का पर्दा हमेशा
के लिए उठ गया । उनके वाल वच्चे राज रोटियों के लिए तरस रहे होंगे । श्राज
व सत्मेरे नाम से नफरत करते होगे लर्दिन मैं वया कर सकती हू? किसी ने
सच ही तो कहा है-- मर गया जिसका बादशाह रोति हैं उसके बजीर '--उन भले
ज्ादभियो ने स्यािमत को जी जान से संवा की. दिन रात दरवार साहेव को श्रप्न-
दाता कह कर जो हुमूरी में रहे भ्ौर बक्तन्वेवक्त पर युद्ध यात्रा बी तथा वीरता
वि विताय पाय । 1 उन मरे वफादार श्रादमियों वा ही वोई अपराध था श्रौर ने
मेरा हो मेरे हुजूर वा भा नहीं, मिफ वक्त वा वदतना था, फिसी का कोई कसूर
नहीं 1
यह सच ही है वि. रुप स््री का भूपण है तो यह ही उसका शमु भी । मैंने
बभी रुप नही च हा था भर न इतनी नजकत ही । इसी सं दप ने मुझे सोने
की रौव रो के यीच हीरा बी ढेरी पर बिठाण श्रौर इसी के वारण मुके मर थी
दादागा के बीन धघुदन मे कद के दिन टेखने को मिते--भौर फिर मिट्टी की दीवार
मे जिदाचुरने बापातण ! में उस मौत को नहीं स्वीकार वर सभी । मृत्यु के
कुक को तोड़ कर वही से मांग प्राई--मागते हुए इतनी दूर भरा गई हूं जहा मे
मुत्र पाछे की भोर देखना बहुत मुश्विल है !. रियामत में वया हो रहा है ?
मरे राजाजोक्से ह? मेण जमदविसी प्रष् नेले ली होगी । सेज सुनी न रह
सभी होगी उसही संलवटो मे कसी म्रय वुमारी के बदन की गध पिसर गई
हागी | मरे सरवार की ऐस्यारों मे बोई फर नहीं प्राया होगा--व्योंकि राजा
महाराजा या. जम ही भोग वरना है भ्ौर स्पिया तो भोग की सापन हैं । मेरे
हुजूर के महल उसी तरह जगमगा रहे होंगे लेकिन मरे हृदय वे घावों में नासूर
जम सने लग हूँ फिर भी खामोश हूं । यह जितगी खामोशी के साथ गुजार देनी
हागी । मैं झौरत हूँ, भर मेरे हिस्स मे फरत भासू भाये हैं मेरो क्या हिमाकत
पि मैं उनमें कुछ भ्रज करू ? झाज मरे भफमसाना को ब्या करना पढ़ रहा है,
इसका मुक्ते गहरा भफमोस है लेक्नि इसलिए इस राज वो खोउ देना चाहती हु
तरि तदारीफ मे जिया लेख हमे कभी वेषद नक्र सकेगा भोर उन पर किती तरह
का कोचदन उद्ाला जये तयामेरी जपो प्रौरत बौ मजबूदियाको तवायफकी
स्पवप्रर ११
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