बाल मनोविज्ञान | Bal mano vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लालजी राम शुक्ल - Lalji Ram Shukla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाल-मनोविज्ञान
पहला परिच्छेद
बाल-मन के जानने की आवश्यकता
बालक को सुयोग्य बनाना--कौन ऐसा पिता होगा
जिसे अपने पुत्र को सुयोग्व, चरिश्रवान् तथा _प्रति्ठित ब्यक्ति
बनाना ब्वच्छा न लगता हो। कौन ऐसी माता दोगी जो सपने
बेटे को सदा सुखी देखना न चाहेगी, छर कौन ऐसा शिक्षक
होगा जो अपने शिष्य की धन, बर, कौर्ति एवं ऐस्वर की बद्धि
नकर भवन्न न दगा । हम सव यी चाहते है छि मारो
संतान और हमारे संरक्षकों की इर बात में दिन दूनी श्र
राव चौशुनी दद्धि थे, उनका. भविष्य उम्बल दो और नको
मान-सर्यादा बढ़े । माता-पिता अपनी सुयोग्य संन से आद्र
बाते हैं और संसार में उनके कारण दी व. रहते दै तथा
विषह लोग भने सिषा के पारण अमरत्व को प्राप्त करते
हैं। झाज हम दरारथ-कौशल्या, नंद-यरोदा, _शोदन-माया
था झाइजी-जीलीवाई का नाम ' ददामि, न ने दिः डलके
सम, कृण्ण, बुद्ध और शिवाजी जैसे सुयोस्य, पुत्र न.होते। इसी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...