उच्न्छ्रखाल | Uchhankhal

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कमला प्रसाद - Kamala Prasad

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निरुपमा देवी - Nirupama Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उच्छुल्लल उनकी दो' कन्याएँ भी हैं--मनोरमा अर अलपमा। अनुपमा सबसे छोटी है, छः साल की बच्ची है। मनीश, सुशीला, खृण्मयी त्मादि बालक-बालिकाश्र का दल उनके खेल का साधी हे । ९.5 ९ जीवन की लम्बी याघ्रा बाल्यकाल के खेल-कूद से ही प्रारम्भ होती है । उख समय रास्ता भी रे नहीं सहता । निश्चिन्त सरल जीवन रहता है, कोद दुःख-क्लेश नहीं रहता } आनन्द-उञ्ज्वल सप्रशान्त समय व्यतीत होता है | किन्त यह निश्चिन्त जीवन बहुत दिनों तक नहीं रहता । समय के फेर से घोर चिन्ताझं आर दुःख-कष्टीं का सामना करना पड़ता दै । इसलिए याट वषं पहले खेल-कूद के थ्ासन्द में पडे रहने से जिन्होंने जीवन की आण वुमा जाने पर ध्यान नहीं दिया था, झाज उनको राह में खड़े रहकर अतीत और अन्तर्गत जीवन की तरफ दृष्टिपात करने का समथ आ गया है । कुमुद-प्रमोद युवावस्था को पहुँच घुके हैं । उनकी शाशा- आकांक्षा, जीवन की गति श्र निर्दिष्ट सीमा मे अवद्ध नहीं है । शिक्षा और कर्मक्षेत्र उनके सामने दिगन्त में प्रसारित हैं । किन्तु दोनों भाइयों की शिक्षा-दीक्षा एक ही प्रकार से होने पर भी, दोनों के चाल-चलस भे काफौ फक स्पष्ट हो चला है । दोनों ही एफ० ए० में पढ़ रहे हैं । प्रमोद मदु स्वभावकादहै, विनयी है, लजाघुर है, जिसे लोग प्रचलित भाषा में “मुँह चोर”! ९६




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