हिंदी कलाकार | Hindi - Kalakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
388
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ केच
जनता के बीच रहकर उसे भावनां श्रौर संस्कृति का पाठ पढाता-
है, उसी प्रकार कीर ने भी सब -साधारण के बीच रहकर मनुष्यता
और सभ्यता के मूल तरवों का उपदेश दिया था; गाँधी जिस प्रकार
हाथ से काम करने को झावश्यक समता है, उसी प्रकार कबोर
इतना मदात्मा होमे पर भो ताना-बाना बुनता था; गाँधो जिस
प्रकार झपने को अपदार्थ-सा समककर जनता के लिए. ही जीती
है, उसी प्रकार कबीर थी अपने लिए, नही, दूसरो' के लिए जिया ।
तात्पथं यह कि गाँधी और कबोर दोनों एक हो' प्रकार के जीवन
की समानताएँ रखने बलि प्रतीत होते हैं । श्रन्तर केवल है तो
यहो क्रि गाँधी उच्चवर्गा में जन्मे हैं श्रौर इस कारण उनको नीचें
उतरने के लिए विनम्रता, शालीनता तथा लघुता को भावना को
अपनाना पढ़ा है, क्योंकि जनता की सहानुभूति प्राप्त करने का
श्र उसके बोच काम करने का यही एक मात्र उपाय है | कबीर
को निम्न वग' का होने के कारण नीचे उतरने की श्रावश्यकता नहीं
थो श्र इसीलिए उनमें विनम्रता, शालोनता तथा लघुता, जो
शभिजात्य वग को विशेषतायें हैं, न होकर श्रक्खदपन, श्रहं और
उपेक्षा का भाव अधिक था । एक श्रौर अन्तर गाँधी और कबीर में
यह हे कि गाँधी देश-काल-गत विशेषताश्नो के कारण मूलतः राज-
नीतिक चेतना से श्रभिमूत हैं जब कि कबीर धार्मिकता तर
आध्यात्मिकता का विशेष आग्रह रखते थे । इस प्रकार गाँधी और
कबीर की विषमता देश-काल-गत है | वसे यदि कबीर श्राज होते
तो वही करते जो गाँधी जी कर रहे हैं श्रौर गाँधी जी यदि कबीर के
युग में होते तो वही करते जो कबीर ने किया | गाँधी मानो' कबोर
का आधुनिक संस्करण हे |
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