पलासी का युध्द | Palasi Ka Yuddha

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Palasi Ka Yuddha by नवीनचंद्र सेन - Navinchandra Senमधुप - Madhup

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १३ 1 -देखकर कि नवीनचन्द्र की वदौलत -प्राचीन गाँव नष्ट होकर नवीन हो गया दै उनके कुलगुरु की पत्नी ने उनका नास नवीनेचन्द्र रक्खा ¦ ं बाल्पकाल श्रोर शित्ता वालक नवीनचन्द्र सेन . यथा समय गोव की पाठशाला : में पढ़ने के लिए बिठाये गये. । वहाँ उन्होंधे >ब्याद बरस की उम्र' तक .पढ़ा. 1 आठवें 'चष ,.पादशाला -क्री: पढ़ाई समाप्त: करके स्कूल, में पढ़ने के .लिंए' अंपने पिचृव्य सदनसोहन .राय. के साथ ब्रे.'चठगाँवगये. और वहाँ के सरकारी स्कूल में भरती.हुए ।. दस वर्ष की उम्र में उनके पितृव्य का देहान्तः हो गया ।' इससे उनके दिल पर बड़ी कड़ी चोट लगी । -कारण यह था कि मदन- मोहन वाबू अपने भतीजे नवीनचन्द्र को: बहुत चाहते थे। इसी समय गृददाद, सुक्रद्मेवार्ज आदि अनेक दुघेटनायें उनके परिवार में हद । दे भी कुछ दिनों के लिए बीसार हो गये । चटगाँव के रुकूल में नवीनचैंन्द्र की गिनती नटखट लड़कों में थी - । उनके कारण सहपाठी' लड़कों को नाक मे दस रहती. थी । लड़के क्या, कभी कभी शिक्तक' सहाशर्थ , तक उनकी व्यंगयोक्तियों का निशाना बन जाते थे । संबरे, शास नदी किनारे ओर नेजन स्थानों म घूमना और घ्रंक्ति की मनोहारिणी शोभा देखना उन्हें इसी' समय: से अत्यन्त प्रिय था | । नवीनचन्द्र ने चटंगँवे के स्कूल से प्रवेशिका परीक्लाः पास की .1 परीक्षा सें वे प्रथम आये । उन्हें छांत्रदत्ति थी मिली । इसके वाद कालेज में पढ़चे के लिए वे कसकते आये और प्रेसीडेंसी कालेज में भरती हो गये । कलंकत्ते दनि के दूरे वध नवीनचन्द्र का विवाह हुआ 1. विवाह के वाद दी उन्दने एफ एं० परीक्षा पास की । परन्तु इंस वार वें छात्रि- जत्ति न पा संके । इससे उन्होंने घ्रेसीडेंसी कालेज छोड़ दिया और जनरल रुसस्वूलाज कालसज सम -घ्ावि हाकर व एन ये पढ़ने-लगे। “इस समय




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