अटलांटिक के उस पार | Atlantik Ke Us Paar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न्यूयाकं मं २ डॉ०्जी जी. पारिख (समाजवादी युवक सभा--प्रजा सोझ- लिस्ट पार्टी का युवक-विभाग) ३ श्री श्रार नरसिमंया (यग फा्मेस एसोसियेडान) ४ श्रीपी दी कुरियाकोज (ज्रांल इडिया कंथलिकं युनिवसिटी फेडरेरान) ५. कुमारी मालती वैद्यनाथन (वबेई विडवविद्यालय कौ एक छात्रा, भारतीय नृत्यकला मे निपुण) श्री वीरेन जे० शाह्‌, भारतीय विदवयुवक-सघ के कोषाध्यक्ष, जो उस समय श्रमरीका मे ही थे, को भी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया । चूकि इन पक्तियों का लेखक भारतीय समिति का श्रध्यक्ष था, प्रत उसे इस प्रतिनिधि-मडल का नेता बनाया गया श्रौर इस पकार प्रति- निधि-मडल की सदस्य-सख्या, प्रतत , सात हो गई । हम लोग न्यूयाकं शहर मे पहुचे । वहा का जीवन वडा ही व्यस्त है । सभी लोग वरावर भाग-दौड में रहते है । सारा काम बडी रफ्तार श्रौर फुर्ती से चलता है । लोगो की चाल भी तेज़ होती है। किसी व्यस्त सडक पर जब हम पहुंचते तो उसी तेज रफ्तार से हमें भी चलना पडता । इतनी तेज चलने की श्रादत न होने से यह हमारे लिए थका देनेवाली बात होती थी । हा, एक चीज हमे बहुत पसन्द आई । वह थी वहा की सड़कों का विभाजन । सारी न्युयाक नगरी छ -सात बहुत बडे रास्तो मे विभाजित है । उनको एवेन्यू कहते है श्रौर सवको अलग-श्रलग नाम दिये गए है । उनको जितनी भी छोटी-बडी सडके काटती हैं, उन सबको क्रमश. नवर दिये गए है-करीव १से १४० तक । इसलिए किसी भी नये व्यक्ति को यदि शहर में कोई जगह ढूढनी हो तो जरा भी दिक्कत नहीं होती । सडक का नवर बताते ही पत्ता चल जाता है कि हमें किघर जाना होगा । घरों के नवर भी कुछ सख्या तक तो, मध्य की बडी सडक की एक तरफ होते है श्रौर वाकी के दूसरी तरफ । यह व्यवस्था समय बचाने के लिए बहुत ही उपयुक्त श्रौर सुविधाजनक लगी । न्यूयाक॑ में एक बडी समस्या हमे दिखाई दी । वह थी लोगो के




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