ईश्वर भक्ति | Ishvar Bhakti
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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{ पाहला सान ए
५ सख सख न-3- 8
स्थान--वैकुण्ठ
( सुदर्शन और गरुद देवता के रूप में ख़ं हे” )
कमम पक |
गरुड--खदशंन,
सुदर्शन--को गरुड ।
गरुड्--एक बात बताध्रो ।
सुद्रशन--पूछो ।
गरुड़--तप चड़ी चीज़ दे या भक्ति ? -
सुद्शेन-- भक्ति
गरुड़--भक्ति ? नहीं, तप बड़ी चीज़ है ।
सुदशन--यह कैसे ?
गरड्---यदह् ऐसे कि तपस्वी अपने तप के बलं से, एक
रोज़ मोक्ष जुरूर प्राप्त कर लेता है । मोक्त'प्रोप्त करने के लिये
तप ही तो सीधा 'रास्ता है ।
सुंदेरान“---नहीं, तुम भूल रहे दो-तप का रास्ता खारडेको
धारा है-जिसमे लाभि भी है चनौर दानि भी;
गरुड--दानि क्यो है ?
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