ईश्वर भक्ति | Ishvar Bhakti

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Ishvar Bhakti by मंगला चरण - Mangla Charan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रष्व ५ ठ्स ~> 4 # ५. (९ { पाहला सान ए ५ सख सख न-3- 8 स्थान--वैकुण्ठ ( सुदर्शन और गरुद देवता के रूप में ख़ं हे” ) कमम पक | गरुड--खदशंन, सुदर्शन--को गरुड । गरुड्‌--एक बात बताध्रो । सुद्रशन--पूछो । गरुड़--तप चड़ी चीज़ दे या भक्ति ? - सुद्शेन-- भक्ति गरुड़--भक्ति ? नहीं, तप बड़ी चीज़ है । सुदशन--यह कैसे ? गरड्‌---यदह्‌ ऐसे कि तपस्वी अपने तप के बलं से, एक रोज़ मोक्ष जुरूर प्राप्त कर लेता है । मोक्त'प्रोप्त करने के लिये तप ही तो सीधा 'रास्ता है । सुंदेरान“---नहीं, तुम भूल रहे दो-तप का रास्ता खारडेको धारा है-जिसमे लाभि भी है चनौर दानि भी; गरुड--दानि क्यो है ?




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