मानसरोवर भाग ५ | Mansarovar (bhag - 5)
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
55
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया। उनक
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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५ ए
ममम ये
राम शाखी, वेनौराम शाखी, ठेदीराम शाखी, भवानीरम शाख्रो; फेकूराम दाली,
मोटेराम शाली आदि जव इतने आदमी अपने घर ही मे है, तव वाहर कौन ब्राह्मणो
को सोजने जाय ।
सोना--और सातवाँ कौन है १
मोटे०--बुद्धि को दौडाओ ।
सौना--एक पत्तर धर छेते आना ।
मोटे०--फिर वहीं वात कही जिसमें बदनामी हो । छि -छि , पत्तल घर
लाऊँ । उस पत्तल मे वह स्त्राद कहाँ, जो यजमान के घर बेठकर भोजन करने में
है । सुनो; सातवें सहदाशय हैं --पण्डित सोनाराम शास्त्री ।
सोना--चलो, दिल्लगी करते हो । भला; में केसे जाऊं गो ०
मोटे०--ऐसे ही कठिन अवसरों पर तो विद्या की आवश्यकता पढ़ती है ।
विद्धान् आदमी अवर को अपना सेवक बना लेता है, सूखे अपने भाग्य को रोता है ।
सोना ठेवी ओर सोनाराम शाख्री मे क्या अन्तर षै, जानती दो 2 केवल परिधान
का । परिधान का अर्थं समम्ती हो 2 परिधान पटनाव' को कहते दँ । इसी सादी
को मेरी तरह बाँध लो; मेरी सिरज़ई पहन लो, ऊपर से चादर ओढ लो । पगड़ी में
वाँव दूंगा । फिर कौन पहचान सकता है. 2
सोना ने हेंसकर कहा--मुझे तो लाज लगेगी ।
मोटे०--ठुम्हे करना ही क्या है ९ बातें तो हम करेंगे ।
सोना ने मन-ही-मन आनेवाले पदाथों का. आनन्द लेकर कहा--बढा
मजा दोगा |
मोटे०-- बस, अव विल्म्व न करो । तैयारी कसे, चलो ।
सोना - कितनी फकी वना छं
मोटे०--यह में नहीं जानता । बस; यद्दी आदर्श सामने रखो कि अधिक-से-
अधिक लाभ हो ।
सदसा सोना देवी को एक वात याद् आ गई । बोली--अच्छा, इन बिछुओं
को क्या करेंगी 2
मोटेराम ने द्योरी चढकर कदा - इन्हें उठाकर रख देना, और कया करोगो १
सोना--हाँ जी; क्यो नहीं । उतारकर रख क्यों न दूंगी |
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