चाँद-सितारे | Chand - Sitare
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
की पक्ति, जो तेज॒ धूप में स्वयं मुलसी जा रहाथा, सकड़ा
पथिक धूप से जल मुन कर छाया वले वृ के समुह मे शरणार्थी
इसी श्रकार के कितने ही दृश्य थे । दूसरी ओर अलेको पक्षियों के
चिन्न थे । उन सवर के मनोभाव उनके मुल्लों से प्रकट हो रहे थे ।
कोई सुस्ते से भरा हुआ; कोई चिन्ता की अवस्था से; तो कोई
प्रसन्न सुख ।
कमरे के उत्तरीय भाग मे खिड़की के समीप एक पूरं
चित्र गा हुआ था | उसमें ताड़ के चक्षों के समूदद के समीप
सर्वदा मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती
नदी के श्याम वणे जल में अचल ब्रिजली कीं भाति मौन खड़ी
थी | उसके होठों और मुख की रेखाओ में चित्रकार ने हृदय को
पीड़ा अत्याधिक मर दी थी । ऐसा मालूम होता था सानो चित्र
योलना चाहता दै, अन्तु योवन अभी तक उसके शरीर पर पूरी
तर प्रस्फुटित न हुआ था ।
इन सब चित्रो से चित्रकार के इतने दिनो की थ्राशा शोर
निराशा मिली हुई थी । परन्तु आज उन चित्रों की रेखाओ थर
रंग-रोगृन ने नरेन्द्र को अपनी ओर आकर्षित न किया । उसके
हृदय सें घार-बार यही विचार आाने लगे कि इतने दिनो उससे
केवल बच्चा का खेल किया है। केवत कागज के टुकड़ों पर रग
पोता है । इतने दिनो से उसने जो कुछ रुपरेखा कागज़ पर खींची
थी वह सब किसी प्रकार भी उसके हृदय को अपनी चार आक-
बिंत स कर सकी । क्योंकि उसके विचार पहले की अपेक्षा बहुत
उच्च थे । उच्च बल्कि बहुत 'उच्चतम होकर चील की माति आकाश
पर मंडलाना चाहते भे । यदि वषा ऋतुका सुहाना दिनदहोतो
क्या कोई शक्ति उसे रोक सकतीं थी । वह उस समय वेश
में झाकर उड़ने को उत्सुकता में असीमित दिशाओ से उड़ जाता
है । एक बार भी फिर कर नहीं ' देखता । अपनी पहली दशा पर
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