साकेत : एक अध्ययन | Saket Ek Adhyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साफेत फी फयावस्तु ७ दूपण-चघ 'झादि उपकथाएं उसने सूत्र रूप से शत्रु द्वारा (जिनको फिसी व्यवसायी ने समाचार दिया था) कला हैं। फिर इसके गे फी घटनाद्ों फा वणन लदमण-शक्ति तक, धनूमान साकेत में ही करते हैं, 'पौर शेप युद्ध वशिछ्ठजी अपनी योग दृष्टि द्वारा साफेत-वासियों को दिखलाते ऐं ! सूयंघंश के राजानो फी फीर्ति- गाधा, दृश्षरथ राम-जन्म, जनक फा गृहस्य, बाललीला, ताढ़का- वघ, प्रथम दर्शन, घनुपयन्त, छादि प्रारम्मिफ प्रसंगां फा सारुयान उर्मिला स्वयं करती हैं । इस प्रकार सम्पूर्ण कथा फी. रंग-भूमि साफेत दी रदती है । कवि वहीं उमिला की सेवा मे यासीन रहता _ &--घौर समस्त घटनाओं का समादार साकेत में दी दो जाता है ! तः स्थान-पेक्य का साकेत फी. कथावस्तु में वदा. सफल प्रयोग है जार साथ ही साः है वर साथ दी साकेत नाम भी. पूर्ण. रूप _से_ सार्थक शता! घटना-ऐफ्य :-- स्थान रेष से श्रधिकफ महत्वपृणं ह घटनाः ज्र यदह जब्लकह वरखु का एक मुख्य कार्य दो और सभी गौण कथाएँ उसकी _ व्यनुवर्तिनी हों--भर्थात्‌ घात-प्रतिघात हारा उस मुख्य कार्य के सम्पादन में सद्दायक हों । साकेत में इम यदि कार्य की 'ओर दृष्टिपात करें तो उसे सद्दज ही ढूं ढ़ निकालना कठिन दोगा। रामायण का मुख्य काये है रावण-बध, परन्तु व साफेत में भी उसी स्थान का 'झधिकारी है, यदद मानने में 'झापत्ति द्ोगी क्योंफि -साकेत का रंगष्यल द 'अयोध्या, 'और उर्मिला विरद दी उस उसकी .




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