प्रेम योग | Prem Yog
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ श्रीयणेक्ञायनम पीर
= _ ५,
ममयम
प्रथम अध्याय |
कुक साधनाः
. - 30000
भक्तियोग की सर्वोत्तम परिभाषा संभवतः भक्त
भब्हाद् द्वारा दौ इ निन्ल परिभाषा दी हैः-
` या. श्रीतिर विवेकानां विपयेप्वनपायिनी |
लामदुस्मरतः सा में हृदयान्मापसपूतु ॥
~ विष्णु पुराण १-२०-१९
५ हे ईण्यर ! अज्ञानी जनौ को ईन्द्रियोके भोगके
नागवान पदार्थों पर जैसी गाढ़ी प्रीति रहती दहै उसी
भकार की प्रीति हमारी तुभ में हो और तेरा रुमरण करते
झुए: हमारे हृदय से बद्द खुख कभी दूर न होवे ”
हम देखते हैं इन्द्रियमोग के पदार्थों से बढ़कर
^
और किसी बस्तु को न जानने वाले लाग इन पदार्थों
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