भगवद्गीता | Bhgwadgita
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऋ
ङुननाशकारियीं कै कुल फे नर्क ऊ हेतु हैं इसो से
इनके पितर पिष्ड जलादि से रङ्ति छोकर अघो
गति को प्राप्त छोते ईैं और वणं संकर करने वाले कुल-
नाशकारियों के थे दोप सनातन जाति चोर न्ति घर्म
को उन्चछ्िन्न कर देते है । हे जनादन ! जिस मसन्चुष्य से
कुल घर्म का नाश्य दो जाता ई उसका सदैव के लिये नरक
भें वास प्ठोताड रेता दुत्तिमें सुना ई! हाय ! शोक!
शन्य सुख के सोभ से अपनेही जनो की मारने को उचत
श्रातो बड़ भारो पाप करने के लिये क्त निचय
श्रा ! यदि बे सुक को इख निलय श्रौर चुप वैठे रहने कौ
अवस्था से शस्त्र से सारैं तो मेरे लिये परम छित छो-यद
कद्ध कर शोक ग्रस्त 'डोकर अर्जुन तीर घशुष फेंक कर
रथ के बीच में बेठ गया ॥
जा
दितीय अध्याय)
सांख्य योग ! `
अर्जुन को इस प्रकार दया संवेश्ति विषाद संमोदित
शरोर वारि विगलित व्याङ्कल नेन संयुक्त देखकर छाष्ण , मे
कष्टा किं अजन! दम विषम खमयं यष्ट कातरता
~ जो श्रार्थः $ योग्य नरं बरन सर्गे भवरोघक और कीर्ति
User Reviews
No Reviews | Add Yours...