भगवद्गीता | Bhgwadgita

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Bhgwadgita by गदाधर सिंह - Gadadhar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऋ ङुननाशकारियीं कै कुल फे नर्क ऊ हेतु हैं इसो से इनके पितर पिष्ड जलादि से रङ्ति छोकर अघो गति को प्राप्त छोते ईैं और वणं संकर करने वाले कुल- नाशकारियों के थे दोप सनातन जाति चोर न्ति घर्म को उन्चछ्िन्न कर देते है । हे जनादन ! जिस मसन्चुष्य से कुल घर्म का नाश्य दो जाता ई उसका सदैव के लिये नरक भें वास प्ठोताड रेता दुत्तिमें सुना ई! हाय ! शोक! शन्य सुख के सोभ से अपनेही जनो की मारने को उचत श्रातो बड़ भारो पाप करने के लिये क्त निचय श्रा ! यदि बे सुक को इख निलय श्रौर चुप वैठे रहने कौ अवस्था से शस्त्र से सारैं तो मेरे लिये परम छित छो-यद कद्ध कर शोक ग्रस्त 'डोकर अर्जुन तीर घशुष फेंक कर रथ के बीच में बेठ गया ॥ जा दितीय अध्याय) सांख्य योग ! ` अर्जुन को इस प्रकार दया संवेश्ति विषाद संमोदित शरोर वारि विगलित व्याङ्कल नेन संयुक्त देखकर छाष्ण , मे कष्टा किं अजन! दम विषम खमयं यष्ट कातरता ~ जो श्रार्थः $ योग्य नरं बरन सर्गे भवरोघक और कीर्ति




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