मौनपालन | Mounpalan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मौन, मीनपासन, मीनपाल भर
मैवे वृको प् सुने मे यद ण्छ दी चत्ता लगाती टै । भारतीय व परिचमी
सौनकीभोतिन तो कद् स्यान दी इससे पिय होना है, श्रौर न उनकी भोति
यद कई समानान्तर छत्ते दी लगाती हैँ !
नाप में भी यदद बड़ी दोदी है । इसका इक मी श्रधिक लम्बा व. श्स्पस्त
विपेला होता है (चिन २) 1 श्रगर किसी मनुष्य को इसके बई डक एव बार दी लग
जायें हो उमकी मृत्यु श्रचश्यम्भादी दो जाती दै । यदद गरम स्थाना मं श्रधिवाश
रहती है । शहद मी यह श्रत्पधिक जमा करती है । इसके एक छुत्त से एक
ही चार में मन मन भर तक शहद मिल जाता दे । इसके पालने के प्रयल किये
जा रहे हैं । लेस्नि सफलता श्रभी तक नददीं मिल सकी है । डर
४ ऐपिस फ्लोरिया (पोतीड्ञा)”--यह शऋुत ही घारी मौन होती
है । शने स्यानं म, श्रधिकारत भाड़ी या मकान वी छता पर यह श्रपना चत्ता
लगाती है । इसका भी एक शी चत्ता होता है, वहं भी बहुत दोग । इसके
सत्ते से एक बार में २, हे पीन्ड तक शहर निकल दाता है । इसका डक
छोटा व बम विपेला होता है ।
५. मेलीपोना (डम्भर)- यद मौन ग्रमेषिि मे प्रधिक पाई जाती
है । हा यद पालो भी जने लगी दै। दमारे देश मे भी यह पाई जाती है ।
यह इक वी प्रयोग नहीं करती है, इसीलिये इसे विना डफ की मोन कद कर
भी पुकारा जाता है ।
मौनपालन
मुर्गा पालन, गो पालन की भाति श्रान मौनपालन भी एक धधा हौ गया
है । पाश्चात्य विद्वानों ने ्पने लगातार के परिथम व श्रवेण से मीनो की
प्रसेकं शद व श्रावश्यकताय्रा का पता लगा कर ऐसी ऐसी विधिया दुढ
निकाली हैं कि अपन सदयोग से हम मोन को ग्रधिक स श्रपिकःव्याराप देकर
उनसे श्रधिक से श्रथिकं शद प्रात कर सकते हैं । पश्चिम में इस भद्दे से
धेने एक व्यवसाय का ल्पे लिया दै । वे सफलता इम व्यवसाय मे
उन्नति भी कर रहे है | वहा इस समय श्नेका बड़े बड़े मौनालय स्थापित दो
चुके हैं श्र नये नये दो रहे है । ये लाखों रुपया प्रतिवर्ष इस घने से कमा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...