अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (मध्यप्रदेश ) में कार्यरत कर्मचारियों की यौगिक क्रियाओं के अभ्यास के प्रति मनोवृत्ति का अध्ययन | Avdhesh Pratap Singh Vishvidhyalay Riva (Madhyapradesh ) Mein Karyarat Karmchariyon Ki Yaugik Kriyaon Ke Abhyas Ke Prati Manovratti Ka Adhyyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Avdhesh Pratap Singh Vishvidhyalay Riva (Madhyapradesh ) Mein Karyarat Karmchariyon Ki Yaugik Kriyaon Ke Abhyas Ke Prati Manovratti Ka Adhyyan by मुन्ना सिंह - Munna Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुन्ना सिंह - Munna Singh

Add Infomation AboutMunna Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जलेश्वर तथा कोहिरा जैसी अद्भूत घाटियों के मनोरम दृश्य हैं । नदियों, पहाड़ी, घाटियों, गुफाओं और जगलो से घिरे होने के कारण यह जनपद प्रकृति के सौदर्य का अनुपम क्षेत्र है| धर्म मनुष्य को उर्जा देता है तो पर्यटन स्थल अपनी सहज सुन्दरता के कारण हृदय को आनन्द से भर देते है। विन्ध्य क्षेत्र एवं उसके आस-पास के क्षेत्र अपनी इसी अक्षुण्ण महत्ता के जनमानस के बहुत करीब है। अपने अद्भुत शिल्प के लिए, विश्व प्रसिद्ध खजुराहों के मन्दिर अतिशयकारी अमरकंटक सतना, बुढार, कीतमा, रीवा की जैन मुर्तियाँ, गीविन्दगढ़ का गीविन्द सागर तालाब, रीवा की शिव-गौरी युगल मूर्ति इस क्षेत्र को पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बना देते है। यह क्षेत्र औद्योगिक दृष्टि से सदा ही महत्त्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह गंगा नदी और उसके तटीय क्षेत्र का द्वार है। प्राचीन काल में सभी व्यावसायिक प्रमुख मार्ग जो कि कौशाम्बी; प्रयाग, वाराणसी, पाटलीपुत्र आदि बड़े नगरों को जीड़ते थे, वे सभी रीवा से होकर गुजरते थे। मौर्य सम्राट अशोक ने यहां देउर कोठार और भरहुत आदि स्थानों में स्तूप एवं बिहार बनवाये । शुग, कुषाण युग में भी इसका महत्व घटा नहीं जबकि यहाँ कई ग्रामीण और शहरी बस्तियाँ बनीं । यहाँ कोयला, एल्‍्यूमिनियम, सीमेंट आदि का प्रचुर उत्पादन होता है तथा बिजली निर्माण के संयंत्र भी यहाँ पर है।। अवधेश प्रताप सिह विश्वविद्यालय, रीवा की स्थापना 20 जुलाई 1968 को हुई धी।दि ध्यभूमि के सपूत तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कप्तान अवधेश प्रताप सिह के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नामकरण हुआआ। 1972 मे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे मान्यता प्रदान की। वर्तमान मे यह विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ ओर कामन वेल्थ विश्वविद्यालय संघ का सदस्य है. रीवा शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर पर उत्तर दिशा में 24620 एकड़ भूमि खण्ड़ पर सिरमौर रोड़ के ढोनीं ओर यह विश्वविद्यालय स्थित हैं.। विश्वविद्यालय शिक्षण विंभाग के साथ 84 महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से सलब्नित है.। जिनमें 2200 के लगभग कर्मचारी कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय का क्षेत्र रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, उमरिया एवं अनूपपुर जिले में फैला है. प्रदेश के सभी संस्कृत महाविद्यालय/विद्यालय अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now