व्यापारिक सन्नियम | Vyaparik Sanniyam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नायरिकदास्य का अयें ९
जिनके व्यवहार था गुण, समय अथवा स्थान बदलने पर नहीं बदलते । वह हर स्थान पर
आर हर समय में वेँसे ही घने रहते है। उदाटरणार्थ आक्सीजन के गुण भूतकाल में भी
वही थे जो बाज रह सौर भविष्य में भी वही रहेंगे । इसी प्रकार उसके गुण भारत में भी
घही है जो अमरीवा में हैं । परन्तु नागरिकदास्न की अध्ययन वस्तु है मनुष्य कया सामाजिक
जीवन' और यह जीवन समय भौर देश के अनुसार बदलता रहता है। घह कल बुछ
मौर या, आन कु भौर है और आगे कुछ और हगा । वह भारत में एक प्रकार वा है
सौर अमरीका में दूसरी प्रकार का । अत नागरिकशास्न इसके विपय में ऐसे सिद्धान्त
नहीं बना सकता जऊँंगे कि भौतिकदास्तर अपने विषयों के सम्दन्ध में बना सकता है।
(२) विभिन्न विधि-भौतिपशास्त्र अपने अध्ययन में एसी विधियों को काम में लाते
हैं जिनसे कि उनके निदचयो में भूल की साथघा नहीं के वरावर हो 1 वह प्रयोगदाला में उन
विपयो के व्यवहारो अथवा गुणो का अध्ययन अपने अनुनूल पैदा वी हुई दश्ाओं में कर सकते
है। सपने प्रयोगों को बार-बार दोहराकर उनके परिणामों को तुलना कर सकते हैं और
इस प्रयार भूल की मात्रा को मिटा सवते हैं। परन्तु नागरिकदास्व्र वा विद्वान् एसी
पद्धति वा प्रयोग नहीं कर रावत्ता । इसके अनेक कारण हैँ! समाज कौ परिस्यितियाँ
मनुष्य के हाय में नहीं और इरा वारण वहू यदु नही. कह सकता कि जौ परिणाम उसे
सामाजिक प्रयोगो से हुए है व कहाँ तक उसके प्रयोग से पैदा हुए और वहाँ तक बहू
रापाज की*परिस्थितियों का परिणाम है १ झदाहरणायें हम यदि एक नपे प्रकार वा
यनन वनात हु मौर उसके वनाने के वाद समाज में कुछ परिवर्तन होता टै तो हम यह
नही कट् सक्ते कि वहाँ त्वः बहु परिवर्तन उस कानून के कारण हुआ नौर् कं
तक वहु समाज की अन्य परिस्थितियों का परिणाम है ।
(२) अपूर्णं ये्-मौतिकशास्वर अपने प्रयोगो में सदी यत्रो जसे बेमिवल बेलेग
(वैज्ञानिक तराजू ) इत्यादि की सहायता ले सकता है परन्तु सामाजिक विज्ञानवेत्ता के
पास पऐंसे नापने या तौछने के यत्र नहीं होते । इस प्रकार सामाजिक विज्ञाना मं
भौतिक चिज्नानो की यपेक्षां अधिकः गत्तियो कवौ सभावना होती ईहै।
री
६ ४, नागरिकदास्त्र के अध्ययन की पद्धतियाँ
(२ ९110०05 ०६ 176 §धपपुङु ° (1११५5)
लागरिकद्यास्व के अघ्ययन में हम निम्नलिखित पद्धतियों वा प्रयोग करते हैं ”--
(१) एतिहासिक पदति (1१5६०५८६ 21८० }--सामाजिकः जीवन के तथ्य `
को समयने कै लिए इतिहास ह्मे चटी सहायत्ता देता है । हमारी जिततो भी सामाजिक
सस्थाएं अथवा सभाएँ हैं वह सब हमें भूतकाज से प्राप्त हुई हैं । भूतकयखं मे वह मनुष्य
के जीवन कीं भावश्यकताओ को पूरा करने के हेतु जाने या अनजाने पैदा हुई थी ।
अत्त. उन सब का मूस्य समसने के लिए आवश्यक है कि हम यह पत्ता लगाव कि घद्ध
किस ददशाओं में और विन आवश्यकताओों को पुण करने के लिए पेदा हुई गौर कटु
।
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