भारतीय आधुनिक शिक्षा | Bhartiya Adhunik Shiksha
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 आनन्द मेते का सचालन छात्रों के साथ मिलकर
छात्राध्यापको एवं शिक्षको- दोनों ने किया ।
1 स्प वुक का निर्माण कर स्वयं छात्राध्यापकों ने
अध्यापन कार्य किया ।
1 स्थानीय व कम लागत वाली सामग्री का निर्माण
कर इसका उपयोग किया।
[] प्रतियोगिता नही होने के कारण छात्राध्यापक समूह
भावना से कार्य करना सीख गए।
ए प्रश्न मंच का आयोजन कर कक्षा में छात्राध्यापको
ने अध्यापन का तरीका सीखा।
[1 विज्ञान अध्यापन में अंताक्षरी का उपयोग कर सकते
है।
[1 प्राथमिक शिक्षक एवं छात्राध्यापक भविष्य मे
अपने-अपने कार्य क्षेत्र मे “सीखने के आनन्द को
अपना सकेंगे।
प्रोजेक्ट का परीक्षण
इस प्रोजेक्ट के परीक्षण हेतु प्रथम वर्ष के 95 छात्राध्यापक
एवं दितीय वर्ष के 95 छात्राध्यापको को चुना गया।
इस प्रकार दो समूह मे छात्राध्यापकों को विभाजित किया
गया-
7 प्रायोगिक समूह- 50 छात्राध्यापक
1 अप्रायोगिक समूह- 50 छात्राध्यापक
प्रायोगिक समूह
७ इस सपूह के 50 छात्राध्यापकों को 20 प्राथमिक
शिक्षको सेवाकालीन के लिए 12 दिन हेतु संस्था मे
प्रशिक्षण के लिए आते हैं के साथ “सीखने का आनन्द
का 1 सप्ताह तक प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण
में प्रोजेक्ट की विशेष गतिविधियों एव शिक्षण पद्धतियों
से अवगत कराया गया।
७ 50 छान्राध्यापकों को अ स्क्रेप बुक का निर्माण
करना सिखाया गया अज दैनिक गणित से गुणा, वर्ग
निकालना सरल विधि एवं मनोरजक विधि से समझाया
गया शर # ग सूृजनात्मक परिचर्चा समूह मे करवाई गई।
ऋग शैक्षिक विलीने, परिभ्रमण आदि विधां से
अवगत कराया गया फिर इन पद्धतियों का परीक्षण
प्राथमिक शाला मे 100 वच्यो पर किया गया।
भारतीय आधुनिक शिक्षा जनवरी 2008
® आनन्द मेले का सचालन पूर्णत स्रोत पुरुष
के रूप में छात्राध्यापक एव शिक्षकों ने किया । यह कार्य
माह में दो वार किया गया।
अप्रायोगिक समूह (नियन्त्रित समूह)
७ इसमे 50 छात्राध्यापको को सीखने के आनन्द
का प्रशिक्षण नहीं दिया गया, 10 प्राथमिक शिक्षकों को
भी प्रशिक्षण नहीं दिया गया।
® ये प्रतिदिन परम्परागत विधियो से कक्षा में
प्रशिक्षण लेते रहे।
७ इन्हे व्याख्यान विधि, प्रदर्शन विधि दारा कक्षा
अध्यापन कराया गया कि आनन्द मेला कैसा लगता
है? क्या होता है?
७ सैद्धान्तिक पक्ष को 1 सप्ताह तक अप्रायोगिक
समूह (नियन्त्रित समूह) के समक्ष रखा गया, दोनो समूहों
का अवलोकन किया गया तब छात्राध्यापको के व्यवहार
में निम्न परिवर्तन देखने को मिले।
निष्कर्ष
उक्त अध्ययन से निष्कर्ष निकला कि “सीखने के आनन्द”
प्रोजेक्ट से-
७ छात्राध्यापको ने सीखने के आनन्द में ज्यादा
रुचि ली।
७ सीखने का आनन्द वास्तव मे अच्छा, सही सीखने
का एक तरीका है। वैदिक गणित से कम समय मे
सवाल मौखिक रूप से करते हैं।
® रुजनात्मक गतिविधियों से छात्राध्यापक कई
शिक्षण विधाओ से स्वयं ही अवगत हुए,
७ सृजनात्मक परिचर्चा में उन्हे बहुत ही आनन्द
आया एवं छात्रों के साथ स्वयं करके देखा तथा अनुभव
किया।
सुझाव
1 इस प्रकार के अन्य विषयो पर भी प्रोजेक्ट का
क्रियान्वयन किया जा सकता है एवं आनन्द मेला ग्रामौ
मे लगाकर छात्रों को सृजनशील बना सकते हैं ।
ए छात्रों मे शाला के प्रति रुचि विकसित कर
सकते है।
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