अतिमा | Aatima

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Aatima by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रतिमा ^€ नव अरुणोदय तुम कहते, उत्तर बेला यह, में संध्या का दीप जलाऊं ! तुम कहते, दिन टलने को अव, गे प्राणौ का तऋध्ये चटा ! मेरा पंथ नही, म ऋतस्‌ ज्योति च्ितिज निज खोज बाहर, रहा देखता भीतर, श्रव कया तथ्यों का कट ठम लिण्टाऊँ ! 1 मैंने कब जाना निशि का सुख १ पुथक्‌ न सुख से ही माना दुख! दंगग्तार की खाल ढ़ तब कञ्जल म सन, प्रार्‌ ठपाऊं £




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