दिल-ए-हज़ीं | Dil-e-hazin
श्रेणी : गजल व शायरी / Shayri - Ghajal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
824 KB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जष्मे दिल मेहरबां दिए थे अगर,
उन पे मरहम लगा दिया होता।
येभी तुक्च को मगरन था मजूर,
जहर दे कर सुला दिया होता!
हो कै मजवूर शिते गम से,
हमने अष्कोंमे गम समोए हैं।
आतिरो दिल वृद्षाने कौ खातिर,
रात की खलवतों* में रोए है।
जिन्दगानी से प्यार व्या कीजे,
जिन्दगानी तो कज अदा” निकली ।
साज़े हस्ती को जब भी छेड़ा 'हुज़ी',
गम में डवो हुई सदा निकली ।
जितना उसकी तरफ मैं बढ़ता गया,
दामने जिन्दगी सिमटता गया।
जितनी मुझसे गुरेज्ञां होती गई,
ज़िन्दगानी से मैं चिमटता गया ।
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१. गरम कीमधिक्ता २. एकादोएन ३. टेढ़ा अदा वाली ४. दूर
दिवन ६७
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