चिर यौवन | Chir Yauvan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Chir Yauvan by नरेन्द्र चौधरी - Narendra Chaudhary

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरेन्द्र चौधरी - Narendra Chaudhary

Add Infomation AboutNarendra Chaudhary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बी गपभवर समाजनरपागा दे लिए इसका जनसायाररा में प्रचार बयना चारिए। शी दमम भो समातत बरतें उन्नें स्थान पर पा तो सुस्दर एवं सुदद भवनों वा. निर्माण विदा जाप, भयवा रग-पिरगे पूरी तथा वु्ो से यवन नयनाभिराम उथान सगाए र । दिगीवों ऊटपटाँग धीरे मट्‌ मकान बनाने दी घनुमति से दी जाय भौर जो सकने प्रव्यवस्थित दा में दने हो भ्रौर देसने में मट्‌ लगने हो उनकी मर्मन बराई जाप तथा बनावट में घावत्यर परिय्ेन बरसे उन्हे सुन्दर बनाया जाय । रेपो स्टेशनों, एविगू्टी, प्रेस, पुरतकों तथा वध्िवाधों द्वारा प्रश्मील गानों घोर यहूई इसी घादि दे प्रसार को रोइनां चाहिए, मयोः दलका मार्को कै मन पर बटा मुप्रमाय पहता है। इन्ही के कारण प्राजल हमारे गाने मानिक रोगों, वालध्रपराघो पषा पन्य स्ताप्‌ मम्बन्ी स्पापियोषौ यृटिहोरट टै) घामिक प्यौदारो के दर पर्‌ गुन्दर गानो तपा पमाह्मकः नाटक्नेम युक्ते ्मोवे प्रचलन्‌ को प्रोस्याहून देना चाहिए । इससे लोगों के दैनिक चन्धौ तथा विविध विन्ताघों में पोंगे मतों थी ब्यादुसता भी पुछ क्षणो के लिए तो दूर हो हो जाती हैं धौर इस प्रबार उनकी दवी हुई मावनाप्नो एव प्रविवसित विचारों थो दिषाम पा पदसर मिलता है । प्राचीन प्रीस- वानियों में राष्ट्रीय कानूनों की सहायता से इस प्रकार के सुन्दर नियमों वो भपने दैनिक जीवन का श्रग दनाकर ्रपने देश की सभ्यता और सस्कृति को उनकी चरम सीमा पर पहुंचा दिया था. भौर सपने सुखी एवं स्वस्प परिवारों तथा भ्रपने सामाजिक जीवन की शाददो रुप में प्रस्तुत किया धा । दस सत्य को तथा इम प्राष्तिकं नियम को मे शारी कि चिकित्सा के सत्र में कार्य करने वाते समस्त वेज्ञानिकोके विचार के लिए प्रस्तुन करता हूं । इन नियमों का पालन वे नि थक होकर शौर दिना पथिक मोचे-विचःरे केर सक्ते हं प्रौर यदि मनमधरोर सम्बन्धौ नियमों बा भी उन्हें कुछ ज्ञान है तो वे बैज्ञातिक, जिन्हें हम माधुमिक विरन्यौवन्‌ १३




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now