शाला प्रबन्ध | Shala Prabandh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठशाला ध्रबन्घ का महत्व प्रस्तावना--शिक्षा-दर्शन में हम शिक्षा के अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, रिक्षा के सॉर्डतिक श्राधार, सामाजिक भाधार, राजनंतिक झाधार भादि विषयों का अध्ययन करते हैं । इस सैद्धान्तिक ज्ञान को व्पवहारिक रुप देने के उदय से हम विद्यालय चलाते हैं। इन विद्यालयों से जो छात्र तैयार होते हैं उनका ब्यवितत्व हमारे लिये सदा से ही इस बात की कसौटी रहा है कि दिक्षा-दर्शन किस सीमा सक कार्यान्दित हो पाष्रा है । शिक्षा-दर्शन मे हमने जिस प्रकार के समाज की बस्पता भी थी बहू विदालयों में बालकों की दिक्षा ह्वारा किस हद तकर दने पत्रिगा, इस रर्टिकोणु पर शिक्षा-दिभारक सदा से चिन्तन भौर सनत करते रहे हैं। बम्बई आन्त कै भू० घर गवर्नर 'ीयकाश ने अपने सेख “हमारी शिक्षा का ढाँचा” में ठीक ही व्यवत किया कि बहुत समय पहले एक भ्रमरीवी विश्वविधालय के प्राध्यप्रके मेरे पिता हार भगवान दास से मिलने धाये भर उन्होंने बातचीत करते हुए व्यक्तं किया : “पाप सुमे, कहिए कि पाए किस प्रकार की सभ्यता दा निर्माण करना चाहते हूं मौर मैं भापती बताअंगा कि झापको किस प्रकार वी शिक्षा देती चाहिए । * यू बयमे स्पष्ट करता है कि दिक्षा के सिद्धान्तो मे हम जिस प्रकार के समाज के निर्माण जी इच्दा रखते हैं उसी प्रकार वी दिक्षा वी भी हमे व्यवस्था करनी होगी । इस युग में शिक्षा के प्रमुख झमरी की विचारक जोन दीदी ने सरि संसार को यह कहकर सजग किया : कोई-सा भी दर्शन जो कार्यान्वित नहीं किया जा सके वह दर्शन नहीं है।” इस शथन के परचात्‌ भाज टमारा यह करंब्य हो गया है कि या तो हम भ्पने शिक्षा के दर्शन वो वार्यास्वित करें भन्पया महाराय टीवी के केथानानुमार ही अगर हम विचार करें तो फिर उनके कयन के भनुसार हमारे शिक्षा-दर्यन की दर्यन ही ने मरते जने रा खतरा उपस्थित हो सक्ता दै! इुनियारो दिस्मा-दरसेन भौर हमारे विदछालव--यनेमान दशा में बुनियादी सा के हमने राष्ट्र लिका पदतिके स्पदे रवीरार सि णर । बुनियादी पिसानदपंन को हमारा देश कार्यान्वितं करने को इत सेकल्य है । यह बार्योन्वितिन गरण हमारी बुनियादी शालाभो में हो रहा है। इस कारें को सफलता इस बात पर निर्भर करनी है कि बुनियादी शिदा-दर्शन में जिन सिद्धार्तों को रुदीकार दिया गया है दे इन छालापों हारा विठते जस्दी ध्यवटटार में उतारे जा पाते हैं । * हिन्दुस्तान टाइम्स रडिदारीय संस्डरण--दिनांक १३ जुन १६६२1




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