श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्ट्री | Shri Padmavati Purval Jain Directry

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Book Image : श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्ट्री  - Shri Padmavati Purval Jain Directry

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उक्त परिचय विवरण से निस्त तथ्य सामने आया हैं । पद्सावती पुरवाछों की जन-संख्या जिसमें स्त्री, पुरुष, वाटक . वाछिकायें सभी सम्मिलित है । छगमग ३५१७५ है । इसके संपादन में श्रीमान्‌ सेठ जुगमन्दिरदास जी करकत्तावालों ने पर्याप्त श्रम किया है । वस्तुतः यह काय॑ जितना आददइ्यक था उतना ही उपेक्षित था और यह आशा सी नहीं की गई थी देस प्रकार को किसी डायरेक्टरी का निर्माण भी हो सकेगा । अकस्मात्‌ दिना किसी घोपणा और प्रदशन के आपने इस काम को अपने हाथ में लिया और सूक सेवक वनकर कास सें जुट गये। इसके साथ ही आपने *पदूमावती पुरवाऊ” मासिक पत्न का भी अपनी ओर से प्रकाशन किया जो समय पर लगभग सभी पदुमावती पुरवाछों के पास पहुँच जाता है । इसका सुयोग्य संपादन मी आपके हाथो में है और सम्पूण ब्यय-मार आप ही उठाते है । आप अत्यन्त उदार और सहदय है । आपका व्यक्तित्व पदूमावती पुरवाक समाज के छिये गौरव की बस्तु दै ¦ यह डायरेक्टरी उक्त समाज का एक सांस्कृतिक कोप है सर उसी प्रकार संग्रहणीय रै जिस प्रकार हम अपने घर कै ब्लग से संवंधित एतिहासिक दस्तावेरनो को सुरक्षित रखते है । इस समाज में जहाँ तक हमे याद्‌ है रचनात्मक काम नहीं जैसा हुआ इस ६्ष्टि से इस ढायरेक्टरी का निर्माण-का्य समाज-सेवा की तरफ एक अत्यन्त ही प्रगतिशीक और ठोस कदम । श जगमन्दिरदास जी का आसारी हँ जिन्दोने सत्रे इसकी भूमिका छिखमे का अवसर प्रदान 1 इन्दौर -सारवषादुर श्री ३०-९-१५ एम० ए०, पी-एच० डी°




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