श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्ट्री | Shri Padmavati Purval Jain Directry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
718
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जुगमंदिर दास जैन - Jugmandir Das Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उक्त परिचय विवरण से निस्त तथ्य सामने आया हैं । पद्सावती पुरवाछों की जन-संख्या जिसमें
स्त्री, पुरुष, वाटक . वाछिकायें सभी सम्मिलित है । छगमग ३५१७५ है ।
इसके संपादन में श्रीमान् सेठ जुगमन्दिरदास जी करकत्तावालों ने पर्याप्त श्रम किया है । वस्तुतः
यह काय॑ जितना आददइ्यक था उतना ही उपेक्षित था और यह आशा सी नहीं की गई थी देस प्रकार
को किसी डायरेक्टरी का निर्माण भी हो सकेगा । अकस्मात् दिना किसी घोपणा और प्रदशन के आपने
इस काम को अपने हाथ में लिया और सूक सेवक वनकर कास सें जुट गये। इसके साथ ही आपने
*पदूमावती पुरवाऊ” मासिक पत्न का भी अपनी ओर से प्रकाशन किया जो समय पर लगभग सभी
पदुमावती पुरवाछों के पास पहुँच जाता है । इसका सुयोग्य संपादन मी आपके हाथो में है और सम्पूण
ब्यय-मार आप ही उठाते है । आप अत्यन्त उदार और सहदय है । आपका व्यक्तित्व पदूमावती पुरवाक
समाज के छिये गौरव की बस्तु दै ¦
यह डायरेक्टरी उक्त समाज का एक सांस्कृतिक कोप है सर उसी प्रकार संग्रहणीय रै जिस
प्रकार हम अपने घर कै ब्लग से संवंधित एतिहासिक दस्तावेरनो को सुरक्षित रखते है । इस समाज में
जहाँ तक हमे याद् है रचनात्मक काम नहीं जैसा हुआ इस ६्ष्टि से इस ढायरेक्टरी का निर्माण-का्य
समाज-सेवा की तरफ एक अत्यन्त ही प्रगतिशीक और ठोस कदम ।
श जगमन्दिरदास जी का आसारी हँ जिन्दोने सत्रे इसकी भूमिका छिखमे का अवसर
प्रदान 1
इन्दौर -सारवषादुर श्री
३०-९-१५ एम० ए०, पी-एच० डी°
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