सेनापति परिचय | Senapati Parichay
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सेनापति-रत्नावली
प्रथम सोपान
ऋतु बन
चरन घरन फूले सब उपवन घन,
साई चतुरंग सग दल लदियत ह 1
यदी जिमि बोलत विरद धीर कोकिल है;
शुजत मधुप गान युन गहियत है ॥
वे आस-पास पुहुपन की खवास सेदः
सेये के खुगंध मोँभः सने रददियत रै ।
सोभा कौ खमाज, सेनापति सुख-साज छाज,
श्ावत वस्त रितुराज कहियत है ॥
(२)
मलय समोर सभ सौरभ धरन धीर,
सरवर नीर जन मञ्जनं के काज के ।
मधुकर पुंज पुनि मं्धल करत गुंज,
सुधरत कज सम सदन समाज कै ॥
ब्याकुल बियागी, जोग के सके न जोगी तहाँ,
व्िद्रत मोगी सेनापति खल साज के।
चरन वरन--रग विरगे । वदी-- भाट । पुहुपन--पूल ।
समीर--पवन । सरवर--तालाव ।
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