महादेवी की काव्य साधना | Mahadevi Ki Kavya Sadhna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
123
श्रेणी :
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यना कौ प्रनुरला, भवो खो तोनता रौर धयभिव्यजनः च्य धनन
तीनों वाने फिरेप रुप से दियाई पढ़ी । इसी कारण खर्टी बोली के :
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शरीर कोन नड है, एड मनन्न गेमीरता सर्वत व्यास हैं
(मासेन के समन्वस्वाद घोर “प्रसाद” के सन्दययाद भँ उदी चन्त
है कि भासतेर्डु में संदिंप्रियता भी थी, नवीचता नी । इसीलिए इनडे काव्य
मेंरीठि के प्रेम द्धै स्ममूुम चथा प्रचारक या उमर करठसर दोनों ब्य
श्वत्पदेखने श्ये मिस जना हैं। “प्रसाद” के व््ग्व में रुटिपातन और
विद्वोद दोनों से एक विचित्र उदासीनता मिलनी है उनकी उतियों में एक
शब्द भी ऐसा न मिलेगा, जिससे यदद प्रतीत हो कि वे आ्राचोनता ॐ ययनं
को तेडने के लिये व्याउल हैं, चाय दी नवीनता के बर्तसात स्वस्प में सी
कोई यश ऐसा से मिलेगा जिनड़ी येर् व ने सांप्रर्यन न
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