श्री देवचन्द्र भाग २ | Shri Devchandar Bahg-2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ॐ अनमः प्रस्तावना. ~~ = महोपाध्याय भरीमट्‌ देवचन्दरमदहाराज अने तर्त पुस्तको. ज्ञानदर्भनयारिि-यक्तस्पाप योभिने क्नीमते रेवयन््राय, सेयनाय नमोनमः ॥ १ ॥ द्पातुयोगगीनार्यो, बरनाचारमपाटङ रेवचन्द्रसमः साघ,रवाचीनों न हृदयते ॥ २ ॥ वाचररय महारागी, सर्पजेनीपकारक: सैभ्रति परय सयन्थे,सच्पगोयः मनायते ॥३॥ आमोदारयएनं यरय, स्तदनेषु पटदपते निमिधतापनपाना, पएणशानितमदापडम ॥ ४ ॥ अनन्द्नमीनाये-परस्नपनप्रसरः राय्ठेससरतरेतरय, समःदोइपिनयोशिराद ॥ ५ ॥ आत्मामापनररारी, शारो वानविहाररान्‌ स्कूमरारपयो्ार्नाने€पेनि रखना ॥।६॥ सिदानरररश्य सो, सथतरगिततेररः माप्वरणपेयरपमयिततनस निरे नमोनमः ॥७॥ एवमेषा सि, मेद्रररेद भाल्दे लदरोष प्म, गरेर सरदकः +< ॥ इ क




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