गल्प सन्जय | Glap Sanjay

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Glap Sanjay by सीताराम चतुर्वेदी 'ह्रदय'-Seetaram Chaturvedii 'Hriday'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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् गल्प-सब्दय पर भी कहानो को अच्छा बना सझती हैं । इतना अवश्य ध्यान रखना होगा छि कटान केवल मनोरजन कां मथन नहौ ह । उसमे पाठक को कुछ सीष भी देनी है। परन्तु यदि हमने कहानी में ही शिक्षा देना प्राम करदियाता बढ़ पाठक को उवाने वाटी हो जायगी । अत. इस ध्येय की पति अप्रत्यक्ष और चातुर्यपूर्ण दंग हे दी द्वोनी चाहिये । अन्त भी कहानी का ऐसा हो जिसे पढ़कर पाठक के सन में एक अवृष्ति बनी रहे और धड़ अधिक कहानी पढ़ने का इच्छुक बनता जाय । कहानी कहने के ढंग के दृष्टिझोण में देखें दो इसे दो रूपो में रखां जा समता है एक तो प्रथम पुरुष में और दूसरे असम पुरुष में । पढ़ते प्रकार की कानी में उन्हीं के पीच का कोई पात्र आप बीठी सुनाता च ता हैं। प० सीता- राम जी चनु्दी की कहानी “में रूस जा रहा हूँ” इसो श्रणी की है। दूसरे प्रहार की कहानियों में ठेसक एक तटस्य व्यक्ति के समान दूसरों पर घटने बाली घटनायें देठा चलता है । दोनों ही दंग सुन्दर हूं। चतुर लेसक जिस मायं को भौ अपनये कानी $ यवे दए नियमो को पृष्टिकोण में रखता दरा उने सजीव ओर रोचक बना सकता है । कहानियाँ कितने प्रकार की हो सकती हैं यह बतल्ोने के लिए पान समय और स्वान की आवश्यद्ता हैं । हमार सामाजिक तथा बैयन्तिक जंवते का उठाने के छियें जितनी वाते भावरयक हैं उतने ही प्रकार की कहानियां मी हो सकती हैं । सिम मिश्र दर्टिडोण रखने के कारण सभी कहानी लेसक मिदर मानै का अनुमग्ण करते ढें । कुछ आदर्सवादी हैं उनका विषार हूं कि इसारें सामने एक चा आदं डना बारिय जिसे दखते हुये दम उस ही याप्ति के डिय आग वदन मप्रयश्नयोन हो सर्च । श्वी वुन्दावनदाक वनां को करना इमो प्रकार शा 7 । ययायवीदी शसा समकते है कि जद ठेके मसाज बरें शिरी जड़े देखा का ययाय विदस फ्रदावात्यादक दंगे से पाठ्य र नप बे खा आय अर जे सर बल न हाकर उन अराइयों का पु




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