हिंदी - सांख्य दर्शन | Hindi Sankhya Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.58 MB
कुल पष्ठ :
81
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विद्याप्रदे गुरु नत्वा तथा रुद्र कृपाकरम् । हिन्दी भाषा करोम्यहस् ॥ सांस्यशाश्नर में प्रवत्ति का कारख टःखत्रयाभिघाताज्जिज्य्यासा तदपघातक हतो 1 ७ 6 न. न हृष्ट च न्नेकान्तात्यन्तताडमावावद १11 _ कक . क्योंकि- सांख्यशास्त्री यतत्वों के उज्ञानसे . तीनों दुः्खों की निवृत्ति होती है श्रतः उसमें पुरुष की प्रवृत्ति होती है । छाथवा तोनों दुःख विनाशी हैं या उनका विनाश देखा जाता है श्तः उनके नाश के हेतु सांख्य शास्त्र के तत्वों के ज्ञान में दूच्छा होती है । ख यदि कहा जावे कि-लोकिक उपाय से तीनों दः्खों का नाश होता है अतः सांस्य शास्त्र पं इच्छा व्यथ है? ठीक. नहीं क्योंकि-उस दृष्ठ उपाय से एंकान्तिक तथा आत्पस्तिक दःख निवत्ति नहीं होती । अवश्य ही होने वालों दः्खनियत्ति एकान्तिक दःखनिवृत्ति और जो दुः्खनिवृत्ति होकर फिर नियवू- सतनहीं होती वह आत्यन्तिक दुःखनिवृत्ति कहलाती है ।.१॥ जेदिक उपाय को अनपायता । टष्टदानुश्रावकः सद्यावदा । ताद्परातः ॥ क आानश्रविक या वेदिक उपाय भी टृष्ठ उपायक स-
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