बा और बापूकी शीतल छायामें | Ba Aur Bapuki Sheetal Chayamai

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ba Aur Bapuki Sheetal Chayamai by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पहुंचा पाठ ९ भूमिति प॑र बिठिहास भूगो बयेराका अध्ययन नियमित कपसे अता था। बेकबार दाने सुझापा कि कसी कमी सिसकी परीक्षा मी शतै एमि । मिनि अंप्रेजीकी पांचवीं कसाकी पढांजी करतवाधी हम दो गीत घड़किपॉकी परौता लेना मलसाछौमसामीत निर्णम किया । बाकों तो थिसकी जानवारी थी ही । परतु जिस दिग परीता थी शुसी दिन संबाघामन काग्रेस बडिंग कमेटीकी बेटनः होनके कारण भेष्मान माने हुं थे । और पाम्को रोटी बताती थी । बहनें बुस समय थोड़ी थीं । मरौ परीक्षा पामे छः अज पसाद पौ। जिसमे मै चार पज दूपदी वह्नि पाज रोयिया बङ्लमे नमि मोजताक्यमे पथी। ममौ पापात रीटिया ही बली थी कि था भागी । पैरे हाथुत बेरुत के छिया भौर मुस मीटा शुडहना देन रूगी.. गया तेरे बजाय मुझे परौप्नामें बिठायेगी ? धचारी पदनसे भूय गयी जात पढ़ती है जो यहां माकर बेठ पी इं। बाएन मोटीगा साशाज होसी तब बहन बसायं जापंसे हित मे तो रौटी बरुत यश थौ। लुक मुझमें पूछना चाहिये पारि पेट बणे पाभू? मे तजमरके लि लम्ब ए पौ मेनका पर्य साढ़े भार भज पथ ज मौर सजितत अधि सासवाले होनेके बारण मुझ दुकाया गया मिंसखिखें में था गन । मेने मपनौ पहाजँ पूरी पर कौ हूं । धाप यहा रोटी भर्लेपौ तौ बक चाययी। में घोड़ी पी बेतकर बमौ चली जभूगौ। सितता-सा बढ़ी हिम्मत बरके में बोली तो सही परंतु बाग लवाब शुनझर शुत्टी पछनाभी । हा मं धूम कश्वै-कण्ड्िया पे -- पभौरे भोरोमे- नृग जाननी) गोहो बम मि सिस तरह तू पवतसे अब जिकडता चाहती हूं। जा यटान आर भीपौ पदन बेठ जा। भमौ जनसालौते नह देतो हू कि लूद कठिति शपाल धूफ़ना । और फिर यदि बोइ भम्बर कानत चरू हैरी जानती हु। मे पृ बोते बिना ुपजाप चलौ आमी। था जिरादी जिससे शरौ कपी शुगर संमाल सनः पटीरवा हानि शा हनि बएुषाप्रर पौ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now