स्तालिन एक जीवन | Stalin ek Jiwan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.06 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विद्यार्थी जीवन पक
* इस भूमिका से बातचीत झुरू हो गड। उसके दौरान में साथी सोसो ने
समझाना झुरू किया कि किसान क्यों इतनी गरीबी का जीवन विताते
हैं, कौन उनका शोपण करता है, कौन उनके मित्र हैं और कौन शत्रु । व
इतने सीवे-सादे शब्दों में और दिलचस्प ढंग से वातें करता रहा कि किसानों ने
उससे फिर आकर वारतें करने के लिये प्रार्थना की । ””
सोसो के दूसरे लंगोटिय्रा यार ग० ग्ठरजिदूजे की निम्न वातें वतलाती हैं कि
योरी के जीवन में दी सोतो धर्म के वारे में कहां तक पहुंच गया था 5
* मैं सगवान के बारे में कहने लगा । सोसो मेरी वात छुनता रहा और फिर
जरा सा चुप रहकर, उसने कहा: “ छुम जानते दो, व ( पादरी ) हमें
वेवक्फ़ वना रहे हैं, कोई भगवान नहीं हे । ८ .«
इन शब्दों को झुनकर, सुझे वड़ा आइचये हुआ । पहले मैंने उसके
सुँदसे कमी ऐसी वात नहीं छुनी थी 1
* तुम कैसे ऐसी बातें करते हो सोसो ? आइ्चये से पूछा ।
“ झ तुम्हें पड़ने के लिये किताब दूंगा, जो वतलायेगी कि डुनिया 'और सभी
सजीव चीजें उससे बिलकुल दूसरी हैं, जैसा कि तुम मान रहे दो, सौर
इंदवर के वारे में कही जाने वाली सारी वार्तें केवल चेवकूफी हं।*-
सोसो ने कहा ।
* कौन न्सी किताब १ पूछा ।-- डारविन की | तुम उसे जरुर
पड़ना “--सोसो ने वहुत जोर देकर मुझसे कहा । ”
गोरी के सहपाठी वानो केच्छोवेली ने अपने संस्मरण में लिखा हु :
' बसंत और दारद में इतवार के दिन, हम अक्सर देद्दात में घूमने जाया
करते थे । गोरी के उचरी पत्त की ढलान में एक छोटी सी खुली जगदद थी,
जो हमें वहुत पसन्द थी । दिन वीतते गये सौर अपने साथ हमारे
शव की आदाओं सौर स्व॒प्नों को भी लेते गये । गोरी स्टूल के ऊपर के
दर्जी में हमने युर्जी साहित्य से परिचय प्राप्त किया, लेकिन वहीं दमें रास्ता
चताने चाला, और दमारे विचारों को एक निश्चित दिया देने वाला को भी नहीं
या। चोचवादूज़ की कविता “डाक काको ” से दम दहुतत प्रभाषि
दी कविता के नायकों ने दमारे तरुग दृदय को ऊयाकर, ८
प्रति प्रेम पेदा कर दिया, और स्कूल छोड़ते समय हमें उससे अपने देश
के लिये म्रेरणा सिली घी । हममें से कोई नहीं जानता पा कि ये
सेवा कस रूप में होगी 1
| ६ सदर
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