धर्म नीति | Dharm Neeti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'श्ीति-घरते
९:
प्रारंभ
जिस वस्तु हमारे मनमे अच्छे विचार उठते
हो वह हमारी नीति, सदाचारका फक मानी
जाती है । दनियाके साधारण शास्र बताते हं कि
दुनिया कैसी हैं । नीतिका मागे यह बताता ह करि
दुनिया कंसी होनी चाहिए । इस मागेके द्वारा हम
यह जान सकते हे कि मनुष्यको किस तरह आचरण
करना चाहिए । मनुष्यक मनके भीतर सदा दो दर-
वाजे होते हे--एकसे वह यह देख सकता हें कि वह
सुद कंसा है, हृसरेसे उसे कंसा होना चाहिए इसकी
कल्पना कर सकता हैं । देह, दिमाग और मन त्रीनोको
अलग-अलग देखना-समभना हमारा काम है । पर
इतना ही करके रुक जायं तो इस प्रकारका ज्ञान प्राप्त
कर लेनेपर भी हम उसका कोई लाभ नही उठा सकते ।
अत्याय, दुष्टता, अभिमान आदिका क्या फल होता
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