धर्म नीति | Dharm Neeti

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Dharm Neeti  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'श्ीति-घरते ९: प्रारंभ जिस वस्तु हमारे मनमे अच्छे विचार उठते हो वह हमारी नीति, सदाचारका फक मानी जाती है । दनियाके साधारण शास्र बताते हं कि दुनिया कैसी हैं । नीतिका मागे यह बताता ह करि दुनिया कंसी होनी चाहिए । इस मागेके द्वारा हम यह जान सकते हे कि मनुष्यको किस तरह आचरण करना चाहिए । मनुष्यक मनके भीतर सदा दो दर- वाजे होते हे--एकसे वह यह देख सकता हें कि वह सुद कंसा है, हृसरेसे उसे कंसा होना चाहिए इसकी कल्पना कर सकता हैं । देह, दिमाग और मन त्रीनोको अलग-अलग देखना-समभना हमारा काम है । पर इतना ही करके रुक जायं तो इस प्रकारका ज्ञान प्राप्त कर लेनेपर भी हम उसका कोई लाभ नही उठा सकते । अत्याय, दुष्टता, अभिमान आदिका क्या फल होता




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