भजन संग्रह भाग - 4 | Bhajan Sangrah Bhag - 4

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भजन संग्रह भाग - 4  - Bhajan Sangrah Bhag - 4

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about वियोगी हरि - Viyogi Hari

Add Infomation AboutViyogi Hari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(15 ) भजन पृष्ठ-संख्या मद्साते मगरूर वे न १०७ महर्ठ फ़वारा होजके *** १०९ माणिक हीरा लाल * ११५१ यह दुनियाँ “बाज़िंद' ˆ“ ११२ या तन-रग-पतग = १११ रहते भाने छर सदा * १०८ राज-कचेरी मारे जे ˆ १०९ राम कहत ककि मादिं “ ११४ राम-नामको टट फवै ** ११२ सुंदर नारी संग *** १०४ सुन्दर पाई देह नेह कर न १०४ दरि-जन बैठा होय - “ ११७ होती जाके सीसपे ˆ“ १९० हौं जाना कचु मीर नि, वु्टेखाह अबतो ज्ञाग सुसाफिर “ १२२ कद मिछसी मैं बिरहों *०* ११९ टक वृद कवन ०“ ११६१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now