युद्ध और अहिंसा | Yuddh Aur Ahinsa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म
: २९
हेर हिटलर से अपील
“गत २४ अगस्त को लन्दन से एक वहिन ने सुमे यह तार
दिया-कपा करके कुछ कोजिए । दुनिया श्रापकी रहनुमाई
की राह देख रद्दी है” लन्दन से एक दूसरी वहिंन का यह तार
राज मुमे मिला--में आपसे झनुरोध करती हूँ कि आपकी
पूशुवल में न होकर विवेक से जो अचल श्रद्धा है उसे शासकों
श्नौर प्रजा के सामने अविलम्व प्रकट करने का विचार कर +
ओँ इस सिर पर डरा रहे विश्व-सकट के वारे मे कुदं कहने
मे हिचकिचा रहा था, जिसका कुछ रषा के ही नहीं बल्कि सारी
मानव-जाति के दित पर असर पडेगा मेरा ऐसा खयाल है कि मेरे
शब्दों का उन लोगों पर कोई प्रभाव न पड़ेगा, जिनपर लडाई
का छिड़ना या शान्ति का कायम रहना निभेर है। में
जानता हूँ कि पश्चिम के चहुत-से लोग समभकते दे कि मेरे शब्दों
की वहाँ प्रतिष्ठा है। में चाहता हूँ कि में भी ऐसा समकता।
चेंकि में ऐसा नहीं समकता; इसलिए सें छुपचाप ईश्वर से
प्राथना करता रहा कि वह हमसे युद्ध के सकट से वचाये । लेकिन
यह् घोपणा करते मे समे जरा मी हिचकिचाहट नहीं मालूम
होती कि मेरा विवेक में विश्वास है । अन्याय के दमन क लिए
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