बापू-स्मृति-ग्रन्थ | Bapu Smriti Granth
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
224
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)_..... गांधीली की प्रचुत्ति झध्यात्म और दर्शन की शरीर शुकने लगी ।
फलतः गांधीवादी राजनीति भी उससे प्रभावित हुई श्र गांधीली के
भ्याम और दर्शन के विचार उसमें प्रवेश पा गये । श्रष गांधीवाद
केवल राननीति दी नददीं रद्दा था किन्तु राजनीति के साथ-साथ
'जीवन का एक दृष्टि कोण” भी बन गया था । जीवन के इस “टष्टि-
कोण” में सत्य; हिंसा, घर्म शोर श्रपरिप्रद का श्रपना विशिष्ट
स्थान है। इतना दी नहीं, यदद जीवन के गांधीवादी दृष्टिकोण का
आदर्श है । इस दृष्टिकोण से समाज-निर्माण का कार्य भी राजनीति
के साथ-साथ चल रहा था । ।
उख समय भी मौर श्राज भी समाज-निर्माण मदो विचार-
धारां काय कररदी हैं एक प्त कटर दष्य वस्तु केश्राधार पर
निर्भर रद समाज की व्यवस्था के निर्माण मँ वदहुजन कल्याण
सममत दै । इतिहास की पृष्टभूमि कौ श्ववहेलना कर नवीन दिक्नान
की शक्ति द्वारा अपनी क्रांति चाइता दें किन्तु क्या फ्रेल घस्तु-
विज्ञान के सेद्धान्तिक श्राघार पर समाज-व्यवस्था का निर्माण
व्यवद्दारतः सम्भव है ?-दूसरा पक्ष रुट्रिप्रस्त चृष्टा श्रात्मा के
झाघार पर समाज-निर्माण में व्यस्त है। वस्तुव्यापार के मौलिक
सिद्धान्तो की व्यवस्था में घावश्यकता तथा दलो वेज्ञा निक
बुद्धि का; उन्नयन एवं निर्माण में योग की ध्रनुभ्रूति से दूर उनका
मस्तिष्क केवल हृदय के प्रभाव में परिचालित दोता है । वर्की
दो संकीर्ण खिंची लकीरों के वीच मदारी दारा दरडेके धल पर
वैंदरिया के चुत्य की तरह नेसिकता श्रौर लोकरटद्टि के ्ंकुश से
मानवी शार्काक्षा, लालसा श्रौर आवश्यकता के सीमावद्ध चृत्य में
बहुजन कल्याण की कल्पना करता हूँ । दूर “चन्द्रलोक' में स्थित `
जीवन का झच्यवद्दा रिक झादर्श ही उसका लघब्य टै । समाज को
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