आधुनिक पत्रकारकला | Aadhunik Patrakarakala

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Aadhunik Patrakarakala by रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर - Ramkrishna Raghunath Khadilkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| प्रस्तावनां २ शामिल हो गये । इधर चिरीष विपयाकी पचिकासयका प्रवशनं वद गणा सै | सरकारी, सार्यजनिक्र संस्थार्थोका ओर बड़ी व्यापारिक कभ्पनियोका जन-सम्पर्कका काम भी बढ़ा है । इस प्रकार पत्रकल्यका क्षेत्र अब अति व्यापक दो गया है तथा तेजीसे और चढ़ता जा रहा है । भारतवपरमं मी पच्चकला वा पर्रकारीकै क्षेत्रमें तेजीसे उन्नति होती जा रही है। इस देदाकी राजभाषा हिंन्दी घोषित हुई है, इसलिए! हिन्दी पत्र - कारौका मचिप्य अति उज्ज्वल है । पर दिग्दीमें आज ऐसी कोई पुस्तक _ नहीं हैं जी प्रकारीकी सब अंगों -प्ररबंगोसि पनकारकों पर्शिप्तित करा दे । यहाँ दीव्पिक उन्नति इतनी नहीं हुई है कि किसी अखबारके दफ्तरमों जाकर पचकार ये सब बाते जान सके या सीख सके । इस दृष्टिसि भारतीय पत्रकारी आधुनिक पाश्चास्य पंत्रकारीसे सी साल्से मी अधिक पिछड़ी स पुरक धोदेमे यह दिखानेका प्रयत्न किया गया है कि पन्न काके रएक वर्तमान क्षेमे क्या हो रहा है तथा बढ़नेवाले क्षेत्र किस आर इंगित कर रहें है । इसमें हरएक कषेमका कैवल प्रारर्सिया परिचय मिलेगा । पत्रकार वननैकै इच्छुक सुवर्कोकों मार्ग दिखासेका तथा साधारण पाठककों पघकारकलाके जगतकी झांकी दिखानेका प्रयत्न भर इसमें है । दृ्एक क्षेत्रका विस्तृत विवेचन करना इसवा लक्ष्य नहीं, वरयोकि सामान्य आकास्यरकारकै एक अधमं एेसा करना असूम्मय है | (ध




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