दयानन्द महाविद्यालय संस्कृत-ग्रंथमाला | Dayanand Mahavidhyalay Sanskrit-Granthmala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
99 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पा छे वेदिक वाङ्मय का इतिहासं ।
द्वितीयाध्याय
उपलन्ध. ब्राह्यणो का वणेन
ऋग्वेदीय ब्राह्मण
१-पेतरेय ब्राह्म ण*
ग्रन्थ परिमा ण--ऐतरेय ब्राह्मण में झाठ पश्चिकायें हैं । प्रत्येक पश्चिका
में पांच अध्याय हैं । कुल मिला कर सारे ब्राह्मण मे चालीस अध्याय है|
चि दो ष ता यें--इस व्राह्मण मे बराह्मण प्रवक्ता आचाय की सम्मतिं बहुत
कम उद्धृत की गइ हैं | केवल ७ । ११ ॥ में पैड़ग्य और कौशीतकि का मत उद्भत
दे | इत से कीथ परिणाम निकालता है कि यह अध्याय ही प्रक्षिप्त है । * हमारा ऐसा
हीं | प्रतीत होता है महिदास अन्य ब्राह्मणों के प्रवचनकर्ताओं के समान
प्राचीन परम्परागत सामग्री में बहुत कम हस्तक्षेप करता था 1 ऐतरेय ब्रा० की प्रथम
६ पश्चिकाओं में सोमयाग का वरीन हैं । अन्तिम दो पश्चिकाओं में राज्यामिषेक
का कथन है ।
सकट न--उस परम्परा के श्रनुसार जो सायण को ज्ञात थी, इस ब्राह्मण
क प्रवक्ता सदिदात ऐतरेथ है । इस बात के मानने में अरुमात्र भी आपत्ति नहीं कि
महिदास डी ने इन चालीस अध्यायो का संकलन किया | पाशिनि को उतने ही
न्राह्मण का ज्ञान था जितना हमारे पास पहुंचा है
ज्रिशच्चत्वारिदतों ब्राह्मण संज्ञायां डण ! ५।१।६२॥ १.५
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१ क~पेतरेय ब्राह्मणम्-मार्टिनहीग
दास सम्पादित | मुम्बै गवनेमेट
द्वारा प्रकाशित । सन् १८६३ |.
भाग १ ३ न
ख-पेतरेय ब्राइणम्-सायणभाष्य-
समेतम् । सत्यनत सामश्रमी द्वार
` सम्पादित । 4488110 30||
ग एष्ट, (भलया
सम्वत् १६६२-१६६२.माग ६-४ |
म्पद्क 1060001 4 00.6९-
१६४. 80100. सन् १८७६ |
घ~पेतरेय ब्राह्यणम्-साययमाष्य-
समेतम् । सम्पादक-काशीनाथ
शाखी आनन्दाश्रम पूना | १८६६ |
भमि कद +
२ देखो कीथ ऋग्वेद के बाह्मण १०२४
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