अध्यात्म संग्रह | Adhyatma Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यारइलडी सरत १६६
ये अनादि के हे दख दई, तेरी जाति विगोड
नारायण अर्प्रतिहर चक्री, याते चा न कोड
सृरतज्ञानसुभटजिनजागोतिन याकीजडखोड
अरेसुन मखं भराणी, धर्म्म की सारन जानी०॥
७ ॥ ततां ॥
तता तन तेरा नहीं, तामे रहो खुभाय
नाता तोड़ो छिनक में, ताहि कहा पतियाय
ताहि कहा पतियाय पायसुख,होयरहोयावासी
क्षणमे मरे श्षणकमें उपजे, होय जगतमें हांसी
याकसंग बद ममता बहु.पडे महादःख फांसी
सरत भिन्नजानइसतनको, यासे होय उदासी
अरे सुन मृखं घ्राणी, घर्म्मंकी सारन जानी ०0
॥ घधा ॥
थधा थपिरपद जो चहे, यों थिरपद नहीं होय
जाके घट थिरता श्रगट, थिरपद_परसे सोय
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