मुगल दरबार मासिल उआई उमरा भाग 2 | Mugal Darbar Maasil Ul Umara Bhag-2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
644
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( दे
चटाई कर उनको मार डाउने तथा उनके निवासस्थान को नष्ट
करने में छुछ उठा न रखा । १३वें वष से यह दरबार बुला
छया गया भौर दक्षिण की चढ़ाई पर भेजा गया, जहाँ शिवा
जी भोंसला गढ़बड़ किए हुए था । यहाँ भी इसने वीरता दिख-
लाई और मराठों पर बराबर चढ़ाई कर खन्द परास्त किया । आज्ञा
साने पर यद दरवार लौट गया और १७ वें वषे फिर काच
भेजा गया । इस बार भी इसने वदँ साहस दिखलाया । १८ बे वषं
मे यह जगदख्क का थानेदार नियत हुआ रौर रवे वषंमें
व्यफगानिस्तान की सड़कों का निरीक्षक हुआ। तथा डंका पाया !
राजघानी मे कै वर्षो तक यह किसी राजायं पर नियत रद्द ।
३५ वें वर्ष में बादशाह ने इसे दक्षिण बुलाया श्औौर जब यह मार्ग में
मागर पहुँचा तब जाटों ने, जो उस समय चपद्रव सचा कर डॉके
डाल रहे थे, एक कारवाँ पर आक्रमण कर कुछ गाड़ियों को,
जो पोछे रद्द गई थां, लूट लिया और कुछ आदभियों को
कद कर लिया । जघ अगज़ ने यदद वृत्तांत सुना तब एक् दुगं
पर बढ़ाई कर उसने कैदियों को छुड़ाया पर दूसरे दुर्ग पर
दुस्साइस से चढ़ाई करने में गोली लगने से सन् ११०२ हि०;
खन १६९१ ३० मे मारा गया ! अगज खाँ द्वितोय इसका पुत्र
या! इसने क्रमशः पित्ता की पदवी पाई गौर यद् सुदम्पद् शाद
के समय तक जीवित था! यद मौ प्रसिद्ध हु 'और समय
जाने पर सरा ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...