पशु चिकित्सा | Pashu-chikitasa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८५ )
३--भोलम 1 श्दाए्ध्यफे निरयाःद्याकरीर् पानीके पराद्
थदुत सरूरी है। इसमें हर प्रकार के दाने य पारे शामिल हैं।
मोभने उतम चथा शीय पपनेवाला देना भादिए । बरस के
धमुसार पयु को खुशक का मपरय होना घादिए 1 पडि
सान्त दा भर्डी रिरलाई थे देरसरेस रहें. सो रेल सार
तफ पाग लिया था सकपा है वा काम करमेबाल पलों,
दप दूनी व सोधिन भर्या शोषे, शो, पान, सो,
शरसी, शिनौ, सोप, दरद्, कपी, स्मार दार, मम
गेंद, इृट्टी का चूत, मूसे-दारे में मिह्ाइर । तिरश श्तं
षो भमी, शुष सधा पद पहान्यहाकर िशाना पादिए। हो
सडक अह्सी फा सेल बे को रोटो दें पिज्ञाइर शिश्ने भरे
परम सोम दोहा हैं ।
रनरर्थिय 1 कामवरो से प्रतिदिन परिमप सिन्त ऋच.
श्यड प्ामिन गायों वटे कः द भेद भो ऋ
शरदि रला कम दप सो हो पंटे दूब लिंदा रिया बसे ते
। , 8.1.21... 2.32.
पश कारो अर सरय इसाजि पर भी चूत थे सेग दो हों शा
करते हैं। इनसे याद के दिए लि ११ बडी का स्कन्
| भष 4६९
|
हुन्न्दोसी शाह बो राय फावरर वे करय शडररों
शनि उरेद में सात हो, बह मनद द शवर
कत बाद कर हे $
User Reviews
No Reviews | Add Yours...